किसी गांव मे दो भाई रहते थे| बड़े भाई का नाम सच था और छोटे भाई का नाम झूठ था| सच गोरे रंग का था और झूठ काले रंग का था| दोनों भाइयों का पहनावा भी अलग अलग था| सच हमेशा सफ़ेद पोशाक मे रहता था और झूठ काली पोशाक मे रहता था| सच इमानदार ,नम्र और परोपकारी था उस से किसी का दुःख देखा नहीं जाता था | दूसरी तरफ झूठ मे फरेब , मक्कारी,बेईमानी आदि भरी हुई थी|
सच की ईमानदारी और परोपकारी की डंके बजते थे उसकी ख्याति दूर दूर तक फैली हुई थी झूठ को इस बात से चिढ थी| और वह मौका ढूंढता फिरता था की कैसे सच की बदनामी हो| एक बार झूठ ने बेईमानी से सच के कपड़े चुरा लिए और सच का चोला पहन कर निकाल गया सच की बदनामी करने | उसने दुनियां मे लोगों को आपस मे लड़ा दिया जगह जगह धोखा धडी होने लगी| झूठ ने मनमाने ढंग से अत्याचार करके सच की बदनामी करनी शुरू कर दी लोगों मे हाहाकार मच गया| सच बेचारा बेबसी के कारन कुछ भी नहीं कर सकता था उसके पास सफ़ेद कपडे भी नहीं थे| वह दुबक कर अपने कमरे मे ही बैठा रहा| जब बात समझ से बाहर हो गई तो लोगों ने इस बात की तहकीकात की और पाया कि सच तो बाहर निकला ही नहीं है यह सारा उत्पात तो झूठ मचा रहा है वह भी सफ़ेद कपड़ों मे| झूठ तो अत्याचारों के लिए पहले ही बदनाम था सो लोगों ने उसका नाम सफ़ेद झूठ रख दिया| आज भी लोग जब किसी को झूठ बोलते हुए सुनते है तो कहते हैं की यह तो सफ़ेद झूठ है|के: आर: जोशी. (पाटली)
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