Wednesday, September 28, 2011

आसक्ति के सामान कोई बिष नहीं

                              नास्त्यकिर्तीसमो मृत्युर्नास्ति क्रोधसमो रिपु:|
                         
                         नास्ति निन्दासमं पापं नास्ति  मोहसमासव: ||
                         
                         नास्त्यसुयासमाकिर्तिर्नास्ती कामसमोSनल: |
                         
                         नास्ति रागसम: पशो नास्ति संगसमं विषम  ||


               अकीर्ति के सामान कोई मृत्यु नहीं है| क्रोध के सामान कोई शत्रु नहीं है| निन्दाके सामान कोई पाप नहीं है और मोह के सामान कोई मादक वस्तु नहीं है|  असूया के सामान कोई अपकीर्ति नहीं, काम के सामान कोई आग नहीं है, राग के सामान कोई बंधन नहीं है और आसक्ति के सामान कोई बिष नहीं है|

Wednesday, September 21, 2011

तजुर्बे का फल

बहुत समय पहले की बात है| एक बार एक राजा शिकार खेलने के लिए जंगल में गए| शिकार के पीछे भागते भागते राजा रास्ता भटक गए| भटकते भटकते उन्हें रात हो गई| दूर एक जगह उन्हें रोशनी दिखाई दी वे रोशनी की तरफ बढे| वहां झोपड़ी में एक बुजुर्ग बैठा हुआ मिला| राजाने उस से रास्ता पूछा और कहा कि तुम यहाँ क्या करते हो| बुजुर्ग ने जवाब दिया कि मैं जमीदार की खेती की रखवाली करता हूँ; बदले में मुझे एक पाव आटा रोज का मिलता है| राजा को लगा बुजुर्ग आदमी तजरबे कार है इसको साथ ले चलना चाहिए| राजा ने कहा तुम मेरे साथ चलो में तुम्हें रोज का आधा किलो आटा दे दिया करूँगा| बुजुर्ग तैयार हो गया| दोनों राजमहल में चले गए| बुजुर्ग को एक कमरा देदिया गया| बुजुर्ग वहीँ आराम से रहने लग गया|
एक दिन एक घोड़े का व्यापारी घोड़े बेचने आया| राजा को एक घोडा बहुत पसंद आगया उसने सोचा कि इसमें बुजुर्ग कि भी राय ले ली जाय| उसने बुजुर्ग को बुलाया और कहा ये घोडा कैसा है| बुजुर्ग ने घोड़े के शरीर पर हाथ फेरा और बताया कि घोडा तो बहुत सुन्दर है पर गहरे पानी में घोडा बैठ जाएगा| राजा ने बुजुर्ग की सलाह को मानते हुए घोडा खरीद लिया| कुछ दिन बाद जब राजा उसी घोड़े पर शिकार के लिए जा रहा था तो रास्ते में एक नदी पर करते हुए जब घोडा गहरे पानी में गया तो बैठ गया| राजा को बुजुर्ग की बात याद आगई वह वापस आगया और बुजुर्ग को बुला कर पूछा कि तुन्हें कैसी पता लगा कि घोडा गहरे पानी में बैठ जाएगा| बुजुर्ग ने बताया कि जब में ने घोड़े के शरीर पर हाथ फेरा तो मुझे उसके जिगर में गर्मी महसूस हुई जिस से लगा कि घोडा गहरे पानी में बैठ जाएगा| राजाने घोड़े के व्यापारी को बुलाकर कारण जानना चाहा व्यापारी ने कहा कि बचपन में इस घोड़े कि माँ मर गई थी तो इसे भैंस का दूध पिलाकर पाला है जिस से इसके जिगर में गर्मी हो गई है| राजा ने बुजुर्ग के तजुर्बे से खुश होकर इनाम में उसे एक पाव आटा और दे दिया| अब बुजुर्ग को तीन पाव आटा रोज का मिलने लगा|
एक बार बैठे बैठे राजा के दिमाग में आया कि बुजुर्ग से में अपनी रानी के बारे में क्यों पूछूं|राजा ने बुजुर्ग को बुलाकर कहा कि आप बहुत तजुर्बे कार हैं, आप मेरी रानी के बारे में भी बताएँ बुजुर्ग ने कहा ठीक है आप रानी को बिलकुल नंगा कर के एक कमरे में बैठा दें तो में रानी के बारे में बता सकता हूँ| राजा ने वैसा ही किया रानी को नंगा करके एक कमरे में बैठा दिया गया| बुजुर्ग ने जैसे ही कमरे का दरवाजा खोला रानी अंदर को भाग गई|बुजुर्ग वापस आया और राजा को बताया कि आपकी रानी किसी वैश्या की बेटी लगती है|राजाने अपनी सास को बुलाकर कुछ सख्ती से पूछा तो उसने बताया कि उनकी कोई औलाद नहीं थी इस लिए उन्होंने इस बेटी को एक वैश्या से गोद लिया था|राजा ने बुजुर्ग से पूछा कि तुम्हें कैसे पता चला कि रानी वैश्या की बेटी है तो बुजुर्ग ने जवाब दिया किसी भी नंगी औरत के सामने जाने पर औरत अपने अंगों को छिपा कर सिकुड़ कर बैठ जाती है पर रानी मुझे देखते ही भाग गई थी| राजा ने बुजुर्ग के तजुर्बे से खुश होकर उसको इनाम में एक पाव आटा और देदिया| अब बुजुर्ग को एक किलो आटा रोज का मिलने लग गया|
एक दिन राजा ने बुजुर्ग को बुला कर पूछा कि अब आप मुझे मेरे बारे में कुछ बताइए|बुजुर्ग ने बेझिझक कहा आप तो किसी बनिए के बेटे हो|राजा को सुन कर गस्सा भी आया और हैरानी भी हुई| राजा उसी समय उठा और अपनी माँ के पास गया| तलवार अपनी गर्दन पर रख कर बोला कि माँ सच सच बता में किसका बेटा हूँ नहीं तो मैं अपनी जान दे दूंगा| माँ डर गई और बताया कि तुम्हारे पिताजी राज्य के काम से बाहर ही रहा करते थे|यहाँ एक मुनीम रहता था तुम उसी की औलाद हो|राजाने बुजुर्ग से आकर पूछा कि तुम्हें कैसे पता चला कि में बनिए का बेटा हूँ तो बुजुर्ग ने जवाब दिया कि मैंने आप को लाख लाख टके की एक एक बात बताई और आप ने उसकी कीमत क्या रखी एक पाव आटा? जिस से इस बात का पता चलता है कि आप बनिए के बेटे हो|राजाने बुजुर्ग के तजुर्बे से खुश होकर बुजुर्ग को अपने मंत्री मंडल में शामिल कर लिया|

Wednesday, September 14, 2011

कौन किसका प्रिय है?




वृक्षं क्षीणफलं त्यजन्ति विहगा: शुष्कं सर: सारसा:,

पुष्पं पर्युषितं त्यजन्ति मधुप दग्धं बनान्त्न मृगा:|

निर्द्रव्यं पुरुषं त्यजन्ति गनिका भ्रष्टश्रियं मंत्रिन:,

सर्व: कार्यवशाज्जनोsभिरमते कस्यास्ति को बल्लभ:||


पक्षी फल ना रहने पर वृक्ष को छोड़ देते हैं, सारस जल सूख जाने के बाद सरोबर का परित्याग

कर देते है, भौंरे बासी फूलों को छोड़ देते हैं, मृग दग्ध (जला हुआ) बन को छोड़ देते हैं| धन के ना रहने पर

वेश्या पुरुष को छोड़ देती है तथा मंत्रिगण श्रीहीन राजा को छोड़ देते हैं, सब लोग अपने अपने स्वार्थवश ही प्रेम

करते हैं, वास्तव में कौन किसका प्रिय है?

Monday, September 5, 2011

मुक्त कौन होता है?


सुखदु:खे समे यस्य लाभालाभौ जयाजयौ| इच्छद्वेशौ भयोद्वेगौ सर्वथा मुक्त एव : ||
वालीपलित्संयोगे कार्श्यं वैवर्न्यमेव |कुब्जभावं जरया : पश्यति मुच्यते ||
पूंस्त्वोपघातं कालेन दर्शनोंपरमं तथा |बाधिर्य प्राणमन्दत्वं य:पश्यति स मुच्यते ||




जिसकी दृष्टि में सुख-दु:ख लाभ-हानि, जय पराजय सम है तथा जिसके इच्छा-द्वेष, भय और उद्वेग सर्वथा नष्ट हो गए हैं, वही मुक्त है| बुढ़ापा आनेपर इस शरीर में झुरियां पड़ जाती हैं, सिरके बाल सफ़ेद हो जाते हैं, देह दुबली-पटली एवं कांतिहीन हो जाती है तथा कमर झुकजाने के कारण मनुष्य कुबड़ा-सा हो जाता है| इन सब बातों की ओर जिसकी सदा ही दृष्टि रहती है, वह मुक्त हो जाता है| समय आने पर पुरुषत्व नष्ट हो जाता है, आखों से दिखाई नहीं देता है, कान बहरे हो जाते हैं और प्राणशक्ति अत्यंत क्षीण हो जाती है | इन सब बातों को जो सदा देखता और इनपर विचार करता रहता है, वह संसार-बंधन से मुक्त हो जाता है|