Tuesday, October 23, 2012

कलिन्दनन्दिनी

सदैव नन्दनन्दकेलिशालिकुञ्जमन्जुला तटोंत्थफ़ुल्लमल्लिकाकदम्बरेणुसुज्ज्वाला|
जलावगाहिनां नृणां भवाब्धिसिन्धुपारदा धुनोतु में मनोमलं कलिन्दनन्दिनी सदा ||



        जिसके तटवर्ती मन्जुल निकुन्ज सदा ही नन्दनन्दन श्रीकृष्ण की लीलाओं से सुशोभित होते हैं; किनारे पर बढ़ कर खिली हुई मल्लिका और कदम्ब के पुष्प-परागसे जिसका वर्ण उज्जवल हो रहा है, जो अपने जल में डुबकी लगाने वाले मनुष्य को भवसागर से पर कर देती है, वह कलिन्द-कन्या यमुना सदा ही हमारे मानसिक मलको दूर बहावे|