Saturday, January 29, 2011

बैजनाथ मन्दिर परिसर

                                           बैजनाथ मन्दिर परिसर|
                                          मन्दिर परिसर  से हिमालय दर्शन|
                                          मुख्य मन्दिर|   

            उत्तराखंड के कुमायूं मंडल में बैजनाथ मन्दिर परिसर स्थित है| यह मन्दिर परिसर बागेश्वर जिले के गरुड़ तहसील में पड़ता है और गरुड़ से २ कि: मी: की दूरी  पर गोमती नदी के किनारे पर स्थित  है| यह मन्दिर परिसर १००० साल पुराना है| यह मन्दिर काफी बड़ी बड़ी पाषण शिलाओं से बनाया गया है| लगता तो नहीं है पर कहते हैं कि यह मन्दिर सिर्फ एक रात में ही बनाया गाय था| यहाँ की  मूर्तियों को देख कर अभी भी यह लगता है कि ये अभी बोल पड़ेंगी| यहाँ पर माता पार्वती जी की  एक आदम कद मूर्ति है उसी के आगे शिवलिंग की स्थापना की हुई है| इस मन्दिर समूंह  के आगे गोमती नदी में काफी सारी मछलियाँ हैं, जो बहुत बड़ी बड़ी  हैं| शैलानी लोग इन मछलियों के लिए चने, मूंगफली आदि ले कर जाते हैं| दाना डालते ही ये मछलियाँ दाना खाने को आ जाती हैं| इन्हें देख कर मन प्रसन्न  हो जाता है| जी करता है इनके साथ लगे रहो| इस मन्दिर के एक घाटी में होने के बावजूद भी इस मन्दिर परिसर से हिमागच्छित  हिमालय पर्वत के नज़ारे देखने को मिलते हैं| यहाँ से कुछ ही दूरी पर एक और मन्दिर है जिसे चक्रब्रतेश्वर  महानदेव कहते हैं| यह मन्दिर गरुड़ गंगा और गोमती के संगम पर बना हुआ है| बैजनाथ मन्दिर परिसर की कुछ फोटकें जो में ने मोबाईल से ली थी डाल रहा हूँ|

Monday, January 24, 2011

||संत कबीर के दोहे||

                 न्हाये धोये क्या भया, जो मन मैल न जाय| 
                    मीन  सदा जल में  रहै, धोये  बास  न जाय||      
प्रेम  न  बाड़ी  ऊपजै,  प्रेम  न  हाट  बिकाय|
राजा  परजा  जेहि रुचे, सीस देई लै  जाय||  
साई  इतना  दीजिए,  जामें   कुटुम  समाय|
मैं  भी  भूखा  ना  रहूँ, साधु  न  भूखा  जाय||
धीरे  धीरे  रे  माना,  धीरे  सब  कुछ  होय|
माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आये  फल होय||
तेरा   साईं  तुज्झ्में, ज्यों  पहुपन  मैं   बास|
   कस्तूरिका मिरग ज्यों,फिर फिर सूंघे घास||
                      काम क्रोध मद  लोभ की,जब लगि घट में खान|
कहा  मुरख   कहा  पंडिता,  दोनों  एक  सामान||
साँच  बराबर  ताप  नहीं,  झूट  बराबर  पाप|
जाके   हिरदै   साँच   है,  ताके  हिरदै  आप||
ऐसी  बानी  बोलिए  मन  का  आप  खोय|
औरन कौं सीतल करै, आपहु सीतल होय||

Monday, January 17, 2011

बहुत अच्छा है



यदि आप परीक्षा देते हैं तो
दो बातें होंगी:
या आप पास होंगे या फेल!
अगर आप पास होते है तो अच्छा है|
यदि फेल होते हैं तो फिर
दो बातें होंगी:
या तो आप दुबारा कोशिश  करेंगे या बीमार पड़ जाएँगे
यदि आप दुबारा कोशिश  करते हैं तो अच्छा है|
यदि आप बीमार पड़ जाते हैं तो फिर
दो बातें होंगी:
या तो आप ठीक हो जाएँगे या मर जाएँगे;

ठीक हो गए तो अच्छा है|
अगर मर गए तो फिर दो बातें हो जाएंगी:
या तो आपको स्वर्ग मिलेगा या नर्क;
स्वर्ग मिला तो अच्छा है |
यदि आप नर्क में जाते हैं तो बहुत अच्छा है;
वहां आप को काफी दोस्त  मिलेंगे!
और आप दुबारा उनके साथ मस्ती कर सकते हैं|

Tuesday, January 11, 2011

"गिरिधरकी कुण्डलियाँ "

साईं बैर ना कीजिए, गुरु पंडित कवि  यार|
 बेटा बनिता पंवरिया,  यज्ञ  करावन हार || 
यज्ञ   करावन  हार  राज  मंत्री  जो  होई |

विप्र,  पडोसी,  वैध्य   आपको तपै  रसोई||
कह गिरिधर कविराय,युगनते यह चलिआई|
इन  तेरहसों  तरह  दिए  बनि  आवै  साईं ||
साईं   सब  संसार  में  मतलब का ब्यवहार| 
जब लग पैसा गांठ में, तब  लग ताको यार||
तब  लग  ताको  यार  संगही  संगमें   डोलें|
पैसा  रहा  न  पास  यार  मुखसे  नहीं बोलें||
कह गिरिधर कवी राय जगत यही लेखा भाई |
बिनु  बेगरजी  प्रीति  यार  बिरला कोई साईं  ||
साईं  घोड़े आछतहि   गदहन  आयो  राज| 
कौआ   लीजै   हाथ  में  दूरि  कीजिये  बाज||
दुरी  कीजिये   बाज  राज  पुनि  ऐसो  आयो |
सिंह  कीजिये  कैद  स्यार  गजराज  चढायो||
कह गिरिधर कविराय जहाँ यह बूझि  बधाई|
तहां  न  कीजै  भोर  साँझ  उठि चलिए साईं ||

Monday, January 3, 2011

प्रार्थना


                                                                                               
                                   
                                   


 




हमें  प्रभु!  दो  ऐसा  वरदान|
तन-मन-धन  अर्पण   कर  सारा  करें  सदा  गुणगान||
कभी ना तुमसे कुछ  भी चाहें   सुख-सम्पति-सम्मान|
अतुल   भोग  परलोक-लोकके  खिंच  ना  पावे  ध्यान||
हानि- लाभ  निंदा-स्तुति  सम हो  मान और अपमान|
सुख-दुःख विजय-पराजय सम हो बंधन-मोक्ष सामान||
निरखें   सदा  माधुरी  मूरति   निरुपम  रस  कि   खान|
चरण   कमल-मकरंद-सुधाका    करें    प्रेमयुत    पान||