बलमा घर आयो फागुन में -२
जबसे पिया परदेश गये , आम लगावे बागन में।
बलमा घर…
चैत मास में कांफल पाके, आम जी पाके सावन में।
बलमा घर…
गऊ को गोबर आंगन लिपायो, मंगल काज करावन में।
बलमा घर…
प्रिय बिन बसन रहे सब मैले, चोली चादर भिजावन में।
बलमा घर…
भोजन पान बानये मन से, लड्डू पेड़ा लावन में।
बलमा घर…'
सुन्दर तेल फुलेल लगायो, स्योनिश्रृंगार करावन में।
बलमा घर…
वस्त्र आभूषण साज सजाये, लागि रही पहिरावन में।
बलमा घर आयो फागुन में।