आप खुबसूरत हैं,
कोई मानता नहीं, अलग बात है|आप के पास दिमांग है,
चलता नहीं, अलग बात है|
आप निहायत सरीफ है,
लगते नहीं, अलग बात है|
आप के पास मोबाईल है,
उठाते नहीं , अलग बात है|
आप की इज्जत काफी है,
कोई करता नहीं, अलग बात है|
हम याद करते रहते हैं,
आप भुला देते हैं,अलग बात है|
आप की बेइज्जती हो रही है,
आप हँस रहे हैं, अलग बात है|
के: आर: जोशी. (पाटली)
दिमांग नहीं दिमाग होता है जी
ReplyDeleteतीसरे पद को ऎसा लिखें-
आप निहायत शरीफ़ लगते हैं
हैं नहीं, ये अलग बात है।
जय हो जोशी जी की
होगी नहीं, यह अलग बात है।
हा हा।
किलर झपटा जी गलती ठीक करने के लिए धन्यवाद्|
ReplyDeleteआपका ब्लाग सुंदर रंगों से सजा है और आप लगातार विविध विषयों पर लिख रहे हैं। इस सिलसिले को बनाये रखना जरूरी है।
ReplyDeletekahe ka gila shikva kis se
ReplyDeletekahe ki ldai jhgda hai
tum mauj kro hm mauj kren
ye hee jine ka nuksha hai
kya khub kahi !
ReplyDeleteबहुत उम्दा लिखा है
ReplyDeleteकोई माने या न माने
अल्ग बात है !!!!
बढ़िया, अच्छी कविता साथ ही छोटी कहानियां भी....
ReplyDeleteamozon kaa add laga rakha hai kuch fayda huaa ki nahi
ReplyDeleteआप के लिए ये फायदे मंद हो सकता है
एक जाइये जरुर मेरे ब्लॉग पोस्ट
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और आप के लिए उपयोगी जरुर होगा
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ReplyDeletemazaa aa gayaa padhkar..........
ReplyDeleteवाह वाह !
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