शक्यो वारयितुं जलेन हुतभुक छत्रेन सुर्यातपो
नागेन्द्रो निशितान्कुशेन संदो दण्डेन गोगर्दभौ।
व्याधिर्भेषजसंग्रहैश्र्च विविधैर्मन्त्रप्रयोगैर्विष
सर्वस्यौषधमस्ती शास्त्रविहितं मूर्खस्य नास्त्यौषधम।।
जैसे आग को पानी से शांत किया जा सकता है, सूर्य की गर्मी को छाते से रोका जा सकता है, तीक्ष्ण अंकुश से मदमत्त हाथी को बस में किया जा सकता है, डंडे से बैल और गधे को रास्ते पर लाया जा सकता है; दवाइयों के प्रयोग से रोगों को ख़तम किया जा सकता है, मन्त्रों के प्रयोग से विष को उतरा जा सकता है, सभी के उपचार का विधान शास्त्रों में वर्णित है परन्तु मुर्ख की मुर्खाताके उपचार के लिए कोई औषधि नहीं है।