न्हाये धोये क्या भया, जो मन मैल न जाय|
मीन सदा जल में रहै, धोये बास न जाय||
प्रेम न बाड़ी ऊपजै, प्रेम न हाट बिकाय|
राजा परजा जेहि रुचे, सीस देई लै जाय||
साई इतना दीजिए, जामें कुटुम समाय|
मैं भी भूखा ना रहूँ, साधु न भूखा जाय||
धीरे धीरे रे माना, धीरे सब कुछ होय|
माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आये फल होय||
तेरा साईं तुज्झ्में, ज्यों पहुपन मैं बास|
कस्तूरिका मिरग ज्यों,फिर फिर सूंघे घास||
काम क्रोध मद लोभ की,जब लगि घट में खान|
कहा मुरख कहा पंडिता, दोनों एक सामान||
साँच बराबर ताप नहीं, झूट बराबर पाप|
जाके हिरदै साँच है, ताके हिरदै आप||
ऐसी बानी बोलिए मन का आप खोय|
औरन कौं सीतल करै, आपहु सीतल होय||
पुराने पन्ने याद आ गए स्कूल की किताब के....
ReplyDeleteसालों बाद भी उतनी ही सही बात लगती है.....
हर शब्द .... जीवन दर्शन
ReplyDeleteआज भी ये शब्द जीवन जीने का तरीका बताते हैं. पुनः याद कराने के लिए आभार.
ReplyDeleteज़िन्दगी के सच याद दिलाने के लिया शुक्रिया..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सीख देते दोहे।
ReplyDeleteसंत कबीर आज ही नहीं आने वाले कल में भी सार्थक रहेंगे ,बस लोग समझें और अमल करें तो लाभान्वित हो सकते हैं.संत कबीर आज ही नहीं आने वाले कल में भी सार्थक रहेंगे ,बस लोग समझें और अमल करें तो लाभान्वित हो सकते हैं.
ReplyDeleteहर शब्द सार्थक एवं जीवन मे उतारने के लिए है,
ReplyDeleteआभार
संत कबीर के दोहे आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उनके काल में रहे होंगे !
ReplyDeleteकबीर साहेब सद्गुरु थे ! सदा रहे हैं सदा रहेंगे !
ReplyDeleteHame to bahut hi achchi tarah yad hai ye dohe aaj bhi. Bahut badi seekh hai in chote chote dohe me..Aabhar
ReplyDeleteकबीर वाणी आज भी प्रासंगिक है. ... कौन कबीर मार्ग पर चल पाया ... उनके शब्दों के गूढ़ अर्थों को विरले ही समझ पाते हैं ..... और जो उनके "ढाई आखर प्रेम का .........." पढ़ पाया वह इंसानियत की अलख जगा रहा है आज ....... सुन्दर पोस्ट के लिए आभार.
ReplyDeletebahut hi sunder pratuti...kabir ke dohe aaj bhi une hi prasngik hai.
ReplyDeleteआप सब को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएं.
ReplyDeleteऐसी बानी बोलिए मन का आप खोय|
ReplyDeleteऔरन कौं सीतल करै, आपहु सीतल होय||
आज भी ये दोहे सुनते है तो चित शांत होता है ....
गणतंत्र दिवस की 62 वीं वर्षगाँठ पर आपको हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteHappy Republic Day..गणतंत्र िदवस की हार्दिक बधाई..
ReplyDeleteMusic Bol
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bahut sundar.
ReplyDeleteHappy Republic Day.
हर पंक्ति एक अच्छे विचार को जन्म देती हुई रचना !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर विचार !
गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत बधाई !
साँच बराबर ताप नहीं, झूट बराबर पाप|
ReplyDeleteजाके हिरदै साँच है, ताके हिरदै आप...
I very strongly believe in the above couplet.
.
सुन्दर पोस्ट के लिए आभार.
ReplyDelete62वें गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर आप को हार्दिक शुभकामनाएं।
आभार।
बहुत सुन्दर सीख देते दोहे।
ReplyDelete62वें गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर आप को हार्दिक शुभकामनाएं।
आभार।
ऐसी बानी बोलिए मन का आप खोय|
ReplyDeleteऔरन कौं सीतल करै, आपहु सीतल होय||
बचपन की याद दिला दी .....
बहुत सुन्दर संकलन है आप का
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा
sundar prastuti badha
ReplyDeletebahut bahut badhai kabir ki prasangikata kal jitani thi aaj bhi utani hi hai
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सीख देते दोहे।
ReplyDeleteसार्थक प्रस्तुति,जी धन्यवाद।
Good message.
ReplyDeleteकबीर आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं.....याद दिलाने का आभार !
ReplyDeleteVery good kept up. kabira kadha bhazar me sabki mang khair. Na kisi se dosti na kisi se bair.
ReplyDeleteप्रभावी संकलन .....
ReplyDeletekabir ji ke dohe jivan ki sachai bayan karte hai bahut sunder post....
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