साईं बैर ना कीजिए, गुरु पंडित कवि यार|
बेटा बनिता पंवरिया, यज्ञ करावन हार ||
यज्ञ करावन हार राज मंत्री जो होई |
विप्र, पडोसी, वैध्य आपको तपै रसोई||
कह गिरिधर कविराय,युगनते यह चलिआई|
इन तेरहसों तरह दिए बनि आवै साईं ||
साईं सब संसार में मतलब का ब्यवहार|
जब लग पैसा गांठ में, तब लग ताको यार||
तब लग ताको यार संगही संगमें डोलें|
पैसा रहा न पास यार मुखसे नहीं बोलें||
कह गिरिधर कवी राय जगत यही लेखा भाई |
बिनु बेगरजी प्रीति यार बिरला कोई साईं ||
साईं घोड़े आछतहि गदहन आयो राज|
कौआ लीजै हाथ में दूरि कीजिये बाज||
दुरी कीजिये बाज राज पुनि ऐसो आयो |
सिंह कीजिये कैद स्यार गजराज चढायो||
कह गिरिधर कविराय जहाँ यह बूझि बधाई|
तहां न कीजै भोर साँझ उठि चलिए साईं ||
साईं सब संसार में मतलब का ब्यवहार|
ReplyDeleteजब लग पैसा गांठ में, तब लग ताको यार||//
वाह क्या बात है ...जय हो
बहुत उपयोगी सलाह गिरिधर कविराय की।
ReplyDelete... bahut sundar !!
ReplyDeleteबहुत देर के बाद गिरिधर से सामना कराने के लिए आभार.
ReplyDeleteअनमोल वचन।
ReplyDeleteविद्यार्थी जीवन के बाद आज फिर गिरिधर कविराय की सीख देख कर खुशी हुयी,उन लोगों का ज्ञान दूरदर्शी था,हम सब के लिए आज भी उपयोगी है.प्रस्तुतीकरण के लिए धन्यवाद.
ReplyDeleteजब लग पैसा गांठ में, तब लग ताको यार||
ReplyDeleteतब लग ताको यार संगही संगमें डोलें|
पैसा रहा न पास यार मुखसे नहीं बोलें||
कह गिरिधर कवी राय जगत यही लेखा भाई |
बिनु बेगरजी प्रीति यार बिरला कोई |
आज भी उतना ही सत्य और सार्थक है. बहुत दिनों बाद गिरिधर की रचना पढाने का सौभाग्य मिला..आभार
बहुत उपयोगी सलाह
ReplyDeleteअनमोल वचन।
आज भी प्रासंगिक।
ReplyDeleteमकर संक्राति ,तिल संक्रांत ,ओणम,घुगुतिया , बिहू ,लोहड़ी ,पोंगल एवं पतंग पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteबड़े पुराने दिन याद आ गए ........शुभकामनायें !
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ........... बहुत अच्छा लिखा है । आभार जी !
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को मकर संक्रान्ति की शुभकामनायेँ ।
"गजल............आईँ थी जब सामने मेरे तुम"
"बिनु बेगरजी प्रीति यार बिरला कोई"
ReplyDeleteबिनु बेगरजी प्रीति यार बिरला कोई साईं
अंत में साईं शब्द छूट गया है.कृपया ठीक कर दीजिये अपनी पोस्ट पर.
गिरधर कविराय की कुंडलियां स्कूल के जमाने में पढ़ी थी,
ReplyDeleteआज आपने याद ताजा़ करा दी।
आपके लिए अशेष शुभकामनाएं।
आपकीक-एक दोहे प्रेरक एवं अनमोल हैं।
ReplyDeleteअनमोल सलाह ....आज भी प्रासंगिक है
ReplyDeletebahut hi sundar post .kavi girdhar hon ya ghagh bharat ki dharohar hai
ReplyDeleteसक्रांति ...लोहड़ी और पोंगल....हमारे प्यारे-प्यारे त्योंहारों की शुभकामनायें......
ReplyDeleteगिरधर की कुण्डलिया पढ़कर हमारे स्कूल के दिनों की याद ताजा हो गयी . शुक्रिया .
ReplyDeleteधन्यवाद्
ReplyDeleteजोशी जी , दोहों के माध्यम से सुंदर सलाह........... अच्छी प्रस्तुति.
ReplyDeleteनये दशक का नया भारत ( भाग- २ ) : गरीबी कैसे मिटे ?
vaah ji.....aapne to hamara bhi dil jeet liya.....
ReplyDeleteइस विधा को जीवित रखने का धन्यवाद.मकर संक्रान्ती की बधाई.
ReplyDeletebahut kuch seekhne ko hai is post mein. Thanks
ReplyDeleteस्कूल के दिन याद करवा दिए भाई.हिंदी के शिक्षक याद आ रहे हैं जिन्होंने कविराय को घोट घोट कर पिला दिया था .
ReplyDeleteगिरधर की कुण्डलिया पढ़कर हमारे स्कूल के दिनों की याद ताजा हो गयी .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर है ये पोस्ट... गिरधर जी की कुण्डलियाँ ... ज्ञान का भण्डार ..धन्यवाद
ReplyDeleteyes we do remember our childhood with this blog...........now its our responsibility to keep girdhar ji alive for many many generations
ReplyDeleteaaj kal ki kitabo se to ye sab gayab kar diya baccho KI kitabo mein hai hi nahi ,pad ker bahut achchaa laga thanks a lot...............
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