महर्षि रमण से कुछ भक्तों ने पूछा "क्या हमें भगवान के दर्शन हो सकते हैं?"महर्षिने कहा हाँ क्यों नहीं हो सकते! परन्तु भगवान को पहचान ने वाली आँखें चाहिए| महर्षि ने उन्हें बताया "एक सप्ताह तक भगवान के मन्दिर में पूरी तन्मयता से भगवान का संकीर्तन करो| सातवें दिन भगवान आएँगे, उन्हें पहचानकर, उनके दर्शन कृतकृत्य हो जाना|
भक्तों ने मन्दिर को सजाया, सुन्दर ढंग से भगवानका श्रंगार किया तथा संकीर्तन शुरू कर दिया| महर्षि रमण भी समय समय पर संकीर्तनमें बैठ जाते| सातवें दिन भंडारा करने का कार्यक्रम था| भगवान के भोग के लिए तरह तरहके व्यंजन बनाए गए थे| मन्दिर के सामने पेड़ के नीचे मैले कपडे पहने एक कोढ़ी खड़ा हुआ था| वह एकटक देख रहा था की सायद मुझे भी कोइ प्रसाद देने आए| एक व्यक्ति दया कर के साग-पुरिसे भरा एक दोना उसके लिए लेजाने लगा कि एक ब्राह्मन ने उसे लताड़ते हुए कहा यह प्रसाद भक्त जनों के लिए है, किसी कंगाल कोढ़ी के लिए नहीं बनाया गाया है| वह दोना वापस ले आया| महर्षि रमण यह सब देख रहे थे| भंडारा संपन्न होने पर भक्तों ने महर्षि से पूछा"आज सातवें दिन भगवान तो नहीं आए"|
महर्षि रमण ने बताया मन्दिर के बाहर जो कोढ़ी खड़ा था वे ही तो भगवान थे| तुम्हारे चर्मचक्षुओं ने उन्हें कहाँ पहिचाना? भगवान के दर्शनों के इच्छुक लोगों का मुंह उतर गाया|
सच में ऐसी गलतियाँ हम अक्सर करते है.
ReplyDeleteज्ञान चक्षु खोलने वाली बेहतरीन पोस्ट ।
ReplyDeleteआभार।
sunder bodh katha....... achchhi sheekh deti hui.
ReplyDeletekhtey hai n ki najaney kisbhesh main baba mil jaye bhagwaan...........koi pata nahi.so be alert.
ReplyDeleteprerak post hetu abhaar
... kyaa baat hai ... bahut khoob ... behatreen post !!!
ReplyDeleteढोंग का पर्दाफाश कर दिया इस कहानी ने,लोग कुछ तो सबक सीखें.
ReplyDeleteसही है जब भगवान हमें मिलते हैं तो हम उन्हें पहचानते नहीं.
ReplyDeleteभाई बहुत सुंदर लघु कथा /
ReplyDeleteज्ञान-नेत्र खोलने के लिए काफी है //
मगर हम्म बार बार गलती करते है
बहुत सुंदर भगवान क़दम क़दम पर है
ReplyDeleteमैं आपके ब्लाग को फालो कर रहा हूँ । आप भी कृपया मेरे ब्लाग एक्टिवे लाइफ को फालो करें. धन्यवाद...
ReplyDeletehttp://sawaisinghrajprohit.blogspot.com
ऐसे विचार पढ़ते-पढ़ाते रहना चाहिए।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर बोध कथा। बधाई और धन्यवाद। असलमे हम भगवान को तो मानते हैं मगर भगवान की नही मानते हैं। तभी तो हमे भगवान नही मिलता। शुभकामनायें।
ReplyDeletebahut sunder sandesh detee laghu katha pasand aaee....
ReplyDeleteAabhar
bahut sunder laghu katha, bhagwan to kan - kan me basta hai use pahchanane vala chahiye........
ReplyDeleteprabhu to kan-kan me hain..
ReplyDeletebas hame unhe pahchan pane ki bhakti prapt kar pane ki jaroorat hai..
pavitr katha.
"समस हिंदी" ब्लॉग की तरफ से सभी मित्रो और पाठको को एक दिन पहले
ReplyDelete"मेर्री क्रिसमस" की बहुत बहुत शुभकामनाये !
()”"”() ,*
( ‘o’ ) ,***
=(,,)=(”‘)<-***
(”"),,,(”") “**
Roses 4 u…
MERRY CHRISTMAS to U
मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है
बहुत सुंदर लघु कथा
ReplyDeleteप्राणियों की सेवा भगवन की सेवा के सामान है क्योंकि भगवन तो सभी प्राणियों के ह्रदय में विद्यमान हैं.
ReplyDeleteIt seems your Follow button is not working properly at the moment. Please check.
ReplyDeleteAnd i have written something on
Emotional Atyachar and Emotional Satyachar. Would feel happy if you read it. www.achchikhabar.blogspot.com
प्रभावी ,सार्थक सन्देश देती रचना ... सही कहा भगवन को देखने के लिए विशेष चक्षु चाहिए ....आपको शुभकामना ...
ReplyDeletebhagwan kahan kis rup me aajaye ...isiliye sabhi ka aadar or samman karna chahiye !!!
ReplyDeletebahut hi sundar katha hai ..!!!
ek bahut sundar sargarbhit or sarthak bodh katha
ReplyDeleteaapki kai kavitayen kahani or lekh padhe acche lage ek accha blog hai aapka