एक गांव मे एक किसान रहता था| वह किसान बहुत मेहनती था| उस के खेत लहलहा रहे थे| खून पसीने की मेहनत के बाद कहीं फसल देखने को मिली थी| फसल इकट्ठी कर के किसान दुबारा फसल बीज ने के लिए किसान खेत मे गया हुआ था|सुबह से ही वह खेत की जुताई पर लगा हुआ था | गर्मी अपने जोरों पर थी | दिन के समय जब किसान थक गया तो थोड़ी देर आराम करने के लिए पास मे एक पेड़ के नीचे पत्थर का सिरहाना बना कर लेट गया| कुछ ही पल मे उसे नीद आ गई| वहां का राजा अपने वजीर के साथ शिकार खेलता हुआ वहां से गुजर रहा था , उसकी नजर उस सोए हुए किसान पर पड़ी , उसने अपने वजीर से पूछा की इस किसान को यह पथर चुभ नहीं रहा होगा? वजीर ने जवाब दिया जहाँपनाह इस किसान ने शरीर की कमाई की है | जिस माहौल मे शरीर रहता है उसी तरह का बन जाता है| राजा ने सवाल किया वह कैसे? वजीर ने कहा जहाँपनाह इस जवाब के उत्तर के लिए किसान को कुछ दिनों के लिए राज महल मे रखना होगा| राजा मान गया और किसान को उठा कर कहा की तुम कुछ दिनों के लिए हमारे साथ राजमहल मे चलो वहां तुम्हें किसी किसम की कोई तकलीफ नहीं होगी |इस बीच जो भी तुम्हारा कोई नुकसान होगा उस की भरपाई कर दी जाएगी| किसान मान गया और उनके साथ जाने को तयार हो गया|
राजमहल मे जाकर किसान की खातिरदारी बहुत अच्छी तरह से की गई| किसान के लिए काफी नरम नरम बिस्तरे का बंदोबस्त किया गया और किसान को कहा गया की वह एक महीना यहीं पर आराम करेगा| एक महीने के लिए नौकर चाकरों को आदेस दिया गया की किसान को किसी तरह की कोई तकलीफ न हो| किसान को पता ही नहीं चला कब महीना ख़तम होगया| पूरे महीने के बाद वजीर ने राजा से कहा जहाँपनाह अब समय आ गया है आप के सवाल के जवाब देने का| वजीर राजा को किसान के पास ले गया| किसान राजा को देख कर खड़ा हो गया और झुक कर राजाको नमन किया , इतने मे वजीर कहीं से घोड़े की पूंछ के दो बाल ले कर आया था, वजीर ने उन बालों को किसान की नजरें बचा कर किसान के बिस्तरे मे डाल दिए| राजा ने किसान को बैठने के लिए कहा| जैसे ही किसान बिस्तरे के ऊपर बैठा एकदम उछल कर खड़ा हो गया| वजीर ने पूछा क्या बात हो गई है? किसान ने जवाब दिया की बिस्तरे मे कोई चीज चुभ रही है| इस पर वजीर ने राजा को बताया की जहाँपनाह जब आप ने इस किसान को जमीं पर बगैर बिस्तरे और बगैर सिरहाने सोया देखा था तो उस समय किसान ने उस के अनुकूल शारीर बनाया था पर अब एक महीने मे ही इस का शारीर इतना कोमल हो गया है की घोड़े के पूंछ के बाल भी इसे चुभने लग गए हैं| इसीको शरीर की कमाई कहते हैं| के:आर: जोशी (पाटली)
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