Saturday, June 12, 2010
ज्योतिर्लिंग
भारत मै १२ ज्योतिर्लिंगों के दर्शन मात्र से ही जीवन सफल हो जाता है और हमाजन्मान्तरों के पापों का वीनस हो रे जन्म जाता है | ये ज्योतिर्लिंग इस प्रकार हैं|
सोमनाथ:-गुजरात के सौरास्त्र में समुन्द्र तट पर प्रभास छेत्र में सोमनाथ महादेव जी का ज्योतिर्लिंग स्थित है इस प्रभास छेत्र से भगवन श्री कृष्ण जी ने बकुंथ धाम का गमन किया था |
मल्लिकार्जुन :- आन्ध्र प्रदेश के कुर्नुल जिले के श्रीशैलम में भगवन मल्लिकार्जुन का स्वयम्भू ज्योतिर्लिंग है | यहीं पर भगवन शिव ने भक्त अर्जुन कि परीक्षा लेने को उनसे युद्ध लड़ा और अर्जुन को पशु पास्त्र प्रदान किया |
श्री महां काल :- मध्य प्रदेश के उज्जैन में भगवन महां काल का ज्योतिरलिंग स्थित है | एक समय जब इस इलाके के निवासी भगवन को भूल कर स्वार्थ सिध्धी में रमने लगे तब एक ज्ञानी ब्रह्मण के पुत्रों ने जन कल्याण का काम शुरू किया| इनके आवाहन पर ही इस स्थान पर भगवन महाकाल प्रकट हुए|
श्री ओंकारममालेश्वर :- मध्यप्रदेश के नर्वदा नदी के एक द्वीप पर स्थित है | कहा जाता है कि यहाँ वैदिक काल में वेदों के महान अध्यनरत एक ऋषि कुमार ने पाया कि बिंध्य पर्वत का अकार एक जगह पर ओमकार जैसा है | वहां पर ओमकार व ममलेश्वर के दो अलग -अलग लिंग हैं | परन्तु ये एक लिंग के दो स्वरूप हैं |
श्री वैद्यनाथ :- शिव पुराण के अनुसार" वैध्यनाथ चिताभूमो" के अनुसार संथाल के पास जो वैद्यनाथ शिव लिंग है वही वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग है| क्यों कि यह ही चिताभूमि है|
श्री भीमाशंकर:- भीमाशंकर का स्थान मुंबई के भीमा नदी के किनारे सहम पर्वत पर है| यहाँ के एक शिखर का नाम डाकिनी है| और कभी यहाँ डाकिनी और भूतों का निवास था|
श्री रामेश्वर:-यह्ज्योतिर्लिंग मद्रास के रामनद जिले मै है| भगवन राम ने लंका विजय के लिए यहाँ पर शिवलिंग कि प्राण प्रतिष्ठा कि थी|
श्री नागेश्वर:-यह स्थान अल्मोरे जिले के जागेश्वर नाम से जाना जाता है| शिवलिंग को नागेशं दारुकाबन देवदार के वृक्षों के बीच मै यह ज्योतिर्लिंग स्तिथ है| देव दर के वृक्षों के मध्य होने पर ही इसे दारुकाबन कहा गया है|
श्री विश्वेश्वर:- उत्तर प्रदेश के वाराणसी मै स्तिथ है | इसे कशी विश्वनाथ भी कहते हैं|
श्री त्रयम्बकेश्वर:-यह ज्योतिर्लिंग नासिक मै स्तिथ है | यहाँ पर भगवन शिव गौतम ऋषि को मिलने त्रयम्बक भूतल पर आए और लिंग मै समां गए |
श्री केदारनाथ:- यह उत्तराखण्ड के केदार नामक श्रंग पर है| यह मन्दाकिनी के किनारे विराजमान है|
श्री घुश्मेश्वर:- यह ज्योतिर्लिंग महांराष्ट्र मै है |यहाँ पर रूठे हुए शिव को पार्वती जी ने मनाया था|
के:आर: जोशी (पाटली)
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