Friday, June 11, 2010

कुशिया और खुशिया

किसी गांव मै कुशिया और खुशिया नाम के दो भाई रहते थे| दोनों काफी गरीबी मै अपना गुजरबसर करते थे| दोनों भाइयों मै कुशिया भोला भाला था और खुशिया काफी चालक था| एक दिन कुशिया अपनी गरीबी से तंग आ कर गांव से कहीं बाहर चला गया | चलते चलते वह एक जमीदार के वहां पहुँच गया| जमीदार से उसने नौकरी मांगी तो जमीदार उसको सर्तों पर नौकरी देने को तयार हो गया | और जमीदार ने अपनी सरतें उस के सामने रख दीं| जमीदार की  सर्तों मै था कि एक दिन मै सारा खेत जोतना है और वहीँ से मांस  का इंतजाम भी करना है ,लकड़ी का इंतजाम करना है,पत्तों का इंतजाम करना है आदि |साथ मै जो बुरा मानेगा उस की  नाक काट दी जाएगी| या जो काम पूरा नहीं कर पाएगा उस की  नाक काट दी जाएगी | कुशिया सर्तों को मान गया और काम करने को तयार हो गया| जमीदार ने उस को काम पर रख लिया| अगले दिन कुशिया खेत जोतने  हल और बैलों के साथ खेत मै गया | खेत सूखा था | कुशिया खेत के काम को पूरा नहीं कर सका और नहीं उसे कहीं से कोई शिकार ही मिला | वह रात  को अपना जैसा मुह लेकर जमीदार के पास गया| जमीदार ने उसको सर्त  याद दिलाई और कहा कि तुम सर्त हार  चुके हो इसलिए तुम्हारी नाक काटनी  पढेगी | और जमीदार ने उस की नाक काट ली | कुशिया बेचारा रोता हुआ अपने घर वापिस आ गया उसने जमीदार के वहां जोकुछ भी उस के साथ हुआ उस के बारे मै अपने भाई को बताया| भाई ने उसको दिलासा देते हुए कहा की तुम तो अपनी नाक कटवा ही चुके हो अब मुझे देखो मै क्या करता हूँ?                                                                                           अगले दिन सुबह ही खुशिया जमीदार के वहां को चल दिया और जमीदार के यहाँ पहुँच कर उसने जमीदार से नौकरी मांगी तो जमीदार ने उसके आगे भी वही सरतें रख्खी जो उसके भाई  के आगे रख्खी गयी थी | एक दिन मै सारा खेत जोतना है वहीँ से मीट लाना है ,वहीँ से लकड़ी लानी हैं और वहीँ से पत्तों का इंतजाम करना है| यह काम पूरा न होने पर या नाराज होने पर नाक काट ली जाएगी| खुशिया उसकी सर्तों के मुताबिक काम करने को तयार होगया| जमीदार ने उस को काम पर रख लिया| अगले दिन खुशिया बैलों को लेकर हल के साथ खेत जोतने चला गया |उस ने हल को यहाँ से वहां वहां से यहाँ जोत कर साम को खेत पूरा जोत दिया| जमीदार का कुत्ता खेत मै आया हुआ था उसने कुत्ते को मर कर मीट तयार किया और वापसी पर हल को फाड़  कर लकड़ी बनाई, बैल के कानों को काट कर पत्ते बनाई और जमीदार के पास वापिस आ गया| जमीदार उसके काम को देख कर एक बार तो खुश हो गया| रात को खाना खाने के बाद जब जमीदार ने कुत्ते को रोटी देने के लिए आवाज दी तो कुत्ता नहीं आया| जमीदार ने खुशिया से कहा कि आज कुत्ता नहीं आ रहा है कहाँ गया तो खुशिया ने जवाब दिया कि महाराज आप ने जो मीट खाया है वह उसी कुत्ते का था| जमीदार ने  सोचा पता नहीं और क्या क्या गुल खिला कर आया होगा देखें जब वह बैलों के पास गया तो देखा बैलों के कान नहीं हैं और हल भी अपनी जगह पर नहीं है तो जमीदार ने खुशिया से इस के बारे मै पूछा खुशिया ने बताया कि महाराज जो आपने लकड़ी जलाई थी वो हल की  ही थी और जी पत्तों मै आप ने भोजन किया वो बैलों के कान के ही थे| यह सब कुछ सुन के जमीदार को बहुत गुस्सा आया पर सर्त के मुताबिक नाराज होने पर नाक काटने का डर  था इस लिए सबकुछ चुपचाप  सह लिया| इतने मै खुसिया ने खुद ही जमीदार से पूछ लिया, जमीदार जी जमीदार जी आप को बुरा तो नहीं लगा| जमीदार ने मन मारते  हुए कहा नहीं| अब जमीदार ने खुशिया से पीछे छुड़ाने की तरकीब सोची| उसने सोचा  अगर इसे मै कहीं साथ लेकर जाऊ और रस्ते मै मौका देख कर पहाड़ी से गिरा दूंगा | जमीदार ने अपने ससुराल को एक पत्र लिखा और खुसिया को कहा इसे मेरे ससुराल दे आ| खुशिया पत्र लेकर गया और रस्ते मै पत्र को खोल कर देख लिया उस मै लिखा था कि मै ससुराल आ रहा हूँ मेरे साथ मेरा नौकर भी आ रहा है आप लोग इस से बुरा सलूक करना ताकि यह बुरा मान  जाये| खुशिये  ने वह पत्र फाड़  दिया और नया पत्र लिख दिया जिस मै लिखा था कि मै ससुराल आ रहा हूँ मेरी तबियत ठीक नहीं है इस लिए मरे लिए सिर्फ भट्ट (काले सोयाबीन) भून कर रखना मेरे साथ मारा नौकर आ रहा है उस की  अछ्छी तरह से सेवा करना|और पत्र दे कर खुशिया वापिस आ गया|  अगले दिन जमीदार और खुसिया अपने खाने का सामान बांध कर चलने लगे तो जमीदार ने देखा कि उस के पैर नंगे हैं तो उस ने खुसिया से कहा कि घर से मेरे बूट ले आ | घर मै जमीदार की  दो पत्नियाँ थीं | खुसिया घर मै जा कर जमीदार की  पत्नियों से कहता है कि जमीदार ने आप दोनों कि नाक मागे है| अगर आप को विस्वास नहीं हो रहा है तो मै दुबारा पूछ देता हूँ और उस ने आवाज दी जमीदार जी जमीदार जी एक लाओं या दो|  जमीदार ने कहा दोनों ला एक से क्या करना है| उस ने कहा देखा जमीदार जी कह रहे हैं की दोनों  ले आ  और उसने दोनों की नाक काट कर जेब मे डाल ली| जूते उठाए और चल कर जूते जमीदार को दे दिए| आगे चल कर रस्ते मे खुशिया ने जमीदार को उसकी पत्निओं की कटी नाक जेब से निकाल कर दिखा दीं| जमीदार नाक देख कर परेसान हो गया और घर को वापिस आ गया घर आ कर देखा तो दोनों पत्नियाँ नाक के बगैर थी उस को देखकर जमीदार को बहुत दुःख हुआ| खुशिया ने जमीदार से पूछा बुरा मान गए क्या? जमीदार ने कहा बुरा मान ने की तो बात की है| सर्त के मताबिक खुशिया ने जमीदार की भी नाक काट ली|तीनों नखो को लेकर खुशिया कुशिया  के पास आ गया और कहने लगा देख तू  एक नाक कटवाके आया था मे उस के बदले मे तीन नाक ले आया हूँ| इस तरह खुशिया ने कुशिये की नाक का बदला ले लिया|
                                                     के: आर: जोशी (पाटली )
 

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