Thursday, October 20, 2011

होने पर भी नहीं है!

                        यस्याखिलामिवहभि:    सुमंग्लैर्वाचो   विमिश्रा  गुणकर्मजन्मभि:|
                              प्रानंती शुम्भन्ति पुनन्ति वै जगद यास्तद्विरक्ता: शवशोभना मता:||
                     

जब समस्त पापों के नाशक भगवान के परम मंगलमय गुण, कर्म और जन्म की लीलाओं से युक्तहो कर वाणी  उनका गान करती है, तब उस गान से संसार में जीवन की स्फूर्ति होने लगती है, शोभा का संचार हो जाता है, सारी अपवित्रताएँ धुल कर पवित्रता का साम्राज्य छा जाता है: परन्तु जिस वाणी  से उनके गुण, लीला और जन्म की कथाएँ नहीं गायी जातीं, वह तो मुर्दे को ही शोभित करने वाली है, होने पर  भी नहीं  के सामान है| अर्थात व्यर्थ है|

21 comments:

  1. वाणी की सार्थकता इसी में है!

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    यहाँ पर ब्रॉडबैंड की कोई केबिल खराब हो गई है इसलिए नेट की स्पीड बहत स्लो है।
    बैंगलौर से केबिल लेकर तकनीनिशियन आयेंगे तभी नेट सही चलेगा।
    तब तक जितने ब्लॉग खुलेंगे उन पर तो धीरे-धीरे जाऊँगा ही!

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  3. सुन्दर विचार है!

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  4. बहुत ही खुबसूरत.....

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  5. अनुकरणीय विचार ...

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  6. प्रभु के गुण-गान में तल्लीन होने पर ध्यान और विलक्षण सुख-शांति कि अनुभूति होती है, सुन्दर विचार प्रस्तुत किये आपने.

    दीवाली की शुभकामनायें!!

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  7. सुंदर सुभाषित, सुंदर भाव।
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  8. भज राम का नाम अरी रसना तू अंत समय में हिली न हिली.
    दीपोत्सव की शुभकामनायें.

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  9. आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को दिवाली की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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  10. पञ्च दिवसीय दीपोत्सव पर आप को हार्दिक शुभकामनाएं ! ईश्वर आपको और आपके कुटुंब को संपन्न व स्वस्थ रखें !
    ***************************************************

    "आइये प्रदुषण मुक्त दिवाली मनाएं, पटाखे ना चलायें"

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  11. आप सब को भी दीपावली पर्व की शुभकामनायें।

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  12. सत्य कहा ...
    आपको दीपावली की मंगल कामनाएं ...

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  13. bilkul satya kathan :)

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