पुराने समय की बात है काशी और कोसल दो पडोसी राज्य थे | काशी नरेश को कोसल के राजा की चारों तरफ फैली हुई कीर्ति सहन नहीं होसकी| काशी नरेश ने कोसल राज्य पर आक्रमण कर दिया| इस लड़ाई मे काशी नरेश की जीत हुई| कोसल के राजा की हार हो गई| हार जाने के बाद कोसल राजा जान बचाने जंगल मे चले गए| कोसल राज्य की जनता अपने राजा के बिछुड़ ने पर काफी नाराज थी | काशी के राजा को अपना राजा मानने को तैयार नहीं थी | उन को कोई सहयोग भी देने को तैयार नहीं थे | प्रजा के इस असहयोग के कारन काशी नरेश काफी नाराज थे| उन्हों ने कोसल राज को ख़तम करने की घोषणा कर दी और कोसल राज को ढूढने वाले को सौ स्वर्ण मुद्राएँ देने का ऐलान कर दिया|
काशी नरेश की इस घोषणा का कोई असर नहीं हुआ| धन के लालच में कोई भी अपने धार्मिक नेता को शत्रु के हवाले करने को तैयार नहीं था | उधर कोसल राज बन मे इधर उधर भटकते फिर रहे थे | बाल बड़ेबड़े हो चुके थे बालों में जटा बन चुकी थी | शरीर काफी दुबला पतला हो चुका था| वे एक बनवासी की तरह दिखने लगे थे| एक दिन कोसलराज बन मे घूम रहे थे | कोई आदमी उन के पास आया और बोला कि यह जंगल कितना बड़ा है? कोसल को जाने वाला मार्ग किधर है और कोसल कितनी दूर है? यह सुन कर कोसल नरेस चौंक गए | उन्हों ने राही से पूछा कि वह कोसल क्यों जाना चाहता है?
पथिक ने उत्तर दिया कि मे एक ब्यापारी हूँ | ब्यापार करके जो कुछ कमाया था उसको लेकर अपने घर जा रहा था | सामान से लदी नाव नदी मे डूब चुकी है| मे कंगाल हो गया हूँ | मांगने की नौबत आ चुकी है अब घर घर जाकर कहाँ भिक्षा मांगता फिरुगा| सुना है कि कोसल के राजा बहुत दयालु और उदार हैं| इसलिए सहायता के लिए उन के पास जा रहा हूँ|
पथिक ने उत्तर दिया कि मे एक ब्यापारी हूँ | ब्यापार करके जो कुछ कमाया था उसको लेकर अपने घर जा रहा था | सामान से लदी नाव नदी मे डूब चुकी है| मे कंगाल हो गया हूँ | मांगने की नौबत आ चुकी है अब घर घर जाकर कहाँ भिक्षा मांगता फिरुगा| सुना है कि कोसल के राजा बहुत दयालु और उदार हैं| इसलिए सहायता के लिए उन के पास जा रहा हूँ|
कोसलराज ने पथिक से कहा आप दूर से आये हो और रास्ता बहुत जटिल है चलो मे आप को वहां तक पहुंचा आता हूँ | दोनों वहां से चल दिए| कोसल राज ब्यापारी को कोसल लेजाने के बजाय काशिराज की सभा मे ले गए| वहां उन को अब पहचानने वाला कोई नहीं था | वहां पहुँचने पर काशिराज ने उनसे पूछा आप कैसे पधारे हैं? कोसलराज ने जवाब दिया कि मे कोसल का राजा हूँ| मुझे पकड़ने के लिए तुमने पुरस्कार घोषित किया है| यह पथिक मुझे पकड़कर यहाँ लाया है इस लिए इनाम की सौ स्वर्ण मुद्राएँ इस पथिक को दे दीजिये | सभा मे सन्नाटा छा गया | कोसल राज की सब बातें सुनकर काशिराज सिहासन से उठे और बोले महाराज!आप जैसे धर्मात्मा, परोपकारी को पराजित करने की अपेक्षा आप के चरणों पर आश्रित होने का गौरव कहीं अधिक है| मुझे अपना अनुचर स्वीकार करने की कृपा कीजिये | इस प्रकार ब्यापारी को मुह माँगा धन मिल गया और कोसल और काशी आपस मे मित्र राज्य बन गए|
प्रेरक एवं अनुकरणीय कहानी है.आज भी इस भावना की महती आवश्यकता है.
ReplyDeleteसुंदर ....प्रेरणादायी कथा
ReplyDeleteप्रेरक रचना।
ReplyDeleteबड़प्पन इसी को कहते हैं!!
ReplyDeleteप्रेरणादायक नीति कथा. वास्तव में यही तो हमारी भारतीय संस्कृति की एक बड़ी विशेषता है. हमारे पूर्वजों ने किसी भी संकटग्रस्त व्यक्ति अथवा समाज की रक्षा के लिए अपने प्राणों की भी परवाह नहीं की . कोसल नरेश का यह अनोखा उदाहरण हमारे सामने है. सराहनीय प्रस्तुति के लिए बधाई और आभार. कोसल राज से हम छत्तीसगढ़ वालों का भी एक ऐतिहासिक और भावनात्मक संबंध है. छत्तीसगढ़ को पौराणिक इतिहास में कोसल अथवा दक्षिण कोसल के नाम से भी जाना जाता है. मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की माता दक्षिण कोसल के राजा भानुमंत की बेटी थीं ,इसलिए उनका नाम कौसिल्या रखा गया .इस नाते भगवान श्री राम हम छत्तीसगढ़वासियों के भांजे हुए .आज भी छत्तीसगढ़ में मामा के द्वारा अपने भांजे के चरणस्पर्श की प्रथा है ,जो भगवान श्रीराम के प्रति यहाँ के लोगों की गहन आदर भावना का परिचायक है.
ReplyDeleteअनुकरणीय कहानी
ReplyDeleteप्रेरक कथा।
ReplyDeletePrernaspad. sundar rachna.
ReplyDeleteऐसी प्रेरक कथा साझा करने के लिए आपका आभार. सुंदर कथा.
ReplyDeleteनिस्वार्थ भाव का यह अनोखा उदाहरण है, आभार!
ReplyDeleteहमारे इर्द-गिर्द आज भी ऐसा कुछ घटता रहता है, लेकिन चर्चा कम हो पाती है.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और प्रेरक कथा! उम्दा प्रस्तुती!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
बहुत सुन्दर और प्रेरणा देने वाली कहानी ...
ReplyDeleteआप बहुत ही पुण्य का कार्य कर रहे हैं साधुवाद ऐसे ही धर्म की ध्वजा फ़हराते रहें ।
ReplyDeletevery inspiring story.
ReplyDeleteप्रेरणादायक रचना।
ReplyDeleteप्रेरक रचना।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ...
ReplyDeleteअच्छाई प्रभाव छोड़ती ही है.
प्रेरक कथा ...प्रेरणादायक ...
ReplyDeleteभाई साहब बहुत ही मार्मिक जन -निष्ठ सन्दर्भ और बोध कथा है जो अन्दर तक छूती है .कहाँ गए ऐसे लोग .रामदेव और अन्नाजी आस का दीपक जलाए हैं .
ReplyDeleteअपकी कहानिया प्रेरनात्मक होती हैं जिन से पौराणिक कथाओं का आभास होता है। शुभकामनायें। वैसे ऐसी कहानिया मै याद इस लिये रखती हूँ कि मेरे नाती नातिन कहानियों के बहुत शौकीन हैं । जब वो आते हैं तो आपका ब्लाग जरूर खोल लेती हूँ। शुभकामनायें।
ReplyDeleteएक प्रेरक कथा.
ReplyDeleteसुन्दर और प्रेरक प्रस्तुति
ReplyDeleteहमारे सच्चे प्रेरणा स्रोत यही लोग हैं जिन्होंने बैर को प्रेम से जीतना सिखाया |
ReplyDeleteआभार
आपकी बधाइयाँ प्राप्त हुईं.धन्यवाद.पौराणिक कथा पर आधारित सुंदर प्रेरक पोस्ट.भगवान श्री राम का ननिहाल कौशल वर्तमान में छत्तीसगढ़ के नाम से जाना जाता है.यहाँ के निवासियों में आज भी भोलापन और त्याग की भावना देखने को मिलती है.
ReplyDeleteप्रेरक कथा की अच्छी प्रस्तुति के लिए बधाई तथा शुभकामनाएं !
ReplyDeleteसुंदर एवं प्रेरक कहानी। आभार।
ReplyDelete---------
हॉट मॉडल केली ब्रुक...
लूट कर ले जाएगी मेरे पसीने का मज़ा।
मेरे ब्लाग पर आपके आगमन का धन्यवाद ।
ReplyDeleteआपको नाचीज का कहा कुछ अच्छा लगा, उसके लिए हार्दिक आभार
आपका ब्लाग भी अच्छा लगा । बधाई
सुन्दर प्रेरक कथा
ReplyDeleteसुंदर प्रेरक पोस्ट.....
ReplyDeleteपौराणिक कथाओं के माध्यम से अच्छे सन्देश आ रहे हैं.
ReplyDeleteहम तो पहली बार आपके ब्लॉग पर आये....... बहुत प्रभावशाली ब्लॉग है आपका. यह प्रस्तुति बहुत सुन्दर और प्रेरणा देने वाली है.
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