बातें तो सभी सुनते हैं
पर जो अमल करता है
सुनना उसी का सार्थक है
अकेले चलना सीखो
साथ किसी का मत ढुंढो
ईश्वर सदा तुम्हारे साथ है
उसका तो युगों-युगों का साथ है
बनना है तो नदी की लहर समान बनो
यह कैसी सतत कार्यशील है देखो
कभी तुमने इसे स्थिर देखा है
न तो यह कभी रूकती है
न कभी मुड़ कर पीछे देखती है
मार्ग में कितनी ही बाधाएँ हों
यह निरंतर आगे बढती ही रहती है
वह कभी असफल हो ही नहीं सकता
जिस ने खुद को लहरों के समान बना लिया
सत्य के मार्ग पर वह बढ़ता ही चला जाता है|
लहर के समान जीवन जीने वाले को जीवन के दुख कम सताते हैं. जो ईश्वर को सदा अंग-संग मानता है ईश किसी न किसी रूप में उसके संग रहेंगे. बहुत बढ़िया शब्दों के साथ आपने बात कह दी है.
ReplyDeleteवह कभी असफल हो ही नहीं सकता
ReplyDeleteजिस ने खुद को लहरों के समान बना लिया
बहुत सही कहा है। औरों की प्रतीक्षा क्या करना .. बस आगे बढते जान है।
वह कभी असफल हो ही नहीं सकता
ReplyDeleteजिस ने खुद को लहरों के समान बना लिया
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बहुत सुन्दर और प्रेरक रचना!
लहर गतिमान होती है
ReplyDeleteलहर मतिमान होती है
लहर में वेग होता है
लहर बलवान होती है.
सत्य कठिन है किन्तु प्रबल है।
ReplyDeleteबहुत ही उत्कृष्ट रचना.........जीवन पथ पर बढ़ने की प्रेरणा दायक पोस्ट.धन्यवाद
ReplyDeleteबातें तो सभी सुनते हैं
ReplyDeleteपर जो अमल करता है..........
प्रेरक रचना! धन्यवाद .
एक सार्थक समसामयिक रचना , बधाई।
ReplyDeleteवस्तुतः सत्य पर अमल करना कठिन भले ही लगे लेकिन मुश्किल नहीं है.यदि हम चाहें तो क्या नहीं कर सकते ?नदी का उदहारण व्यक्ति को कर्मशील बनाने हेतु बहुत उत्तम है.
ReplyDeleteसत्य की राह तो हमेशा से ही कठिन रही है ... ।
ReplyDeleteबातें तो सभी सुनते हैं
ReplyDeleteपर जो अमल करता है
सुनना उसी का सार्थक है
bahut sahi kaha aapne
सुन्दर उपमाएं देकर ज्ञानवर्धक बातें. काश ! हम भी नदी की भांति निर्बाध, नियमित और नित्य चल सकते.
ReplyDeleteएक सार्थक पोस्ट. ....आभार.
जिस ने खुद को लहरों के समान बना लिया
ReplyDeleteसत्य के मार्ग पर वह बढ़ता ही चला जाता है|
सुन्दर एवं सार्थक रचना ..
चरैवेति चरैवेति!! लहरों के समान चलना ही लक्ष्य तक पहुँचाता है.. जो इस इंतज़ार में बैठे हों कि कोई आएगा मदद को वो बस बैठे ही रह जाते हैं!! अच्छी सीख!!
ReplyDeleteजिस ने खुद को लहरों के समान बना लिया
ReplyDeleteसत्य के मार्ग पर वह बढ़ता ही चला जाता है|
सुन्दर और प्रेरक रचना.........
बेह्तरीन रचना ! बधाई !
ReplyDeletevery nice post
ReplyDeleteसाथ किसी का मत ढुंढो
ईश्वर सदा तुम्हारे साथ है
उसका तो युगों-युगों का साथ है
आपकी इस उत्कृष्ट प्रवि्ष्टी की चर्चा आज शुक्रवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर, सार्थक और प्रेरणादायक रचना! हर एक पंक्तियाँ लाजवाब है! उम्दा प्रस्तुती!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
एक सार्थक सटीक रचना |बधाई
ReplyDeleteआशा
पर ये सत्य का मार्ग ही तो कठिन है ... लहरें तो सब सह लेती हैं पर इंसान के बस में इतनी रुकावटें सहना आसान नहीं होता ...
ReplyDeleteसत्य का मार्ग कठिन अवश्य है, लेकिन जो एक बार इस का अभ्यस्त हो जाता है उसके लिये आगे का रास्ता स्वयं आसान हो जाता है...बहुत सार्थक और प्रेरक प्रस्तुति...
ReplyDeleteईश्वर की सत्ता को स्वीकार कर लें तो कुछ भी गलत हो ही नहीं सकता ,अगर कुछ अभी ठीक नहीं भी लग रहा है तब भी भविष्य में उसका इतना मनोहारी रूप सामने आता है कि परम आनन्द की अनुभूति होती है .....
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है आपने .....आभार !
प्रेरणा देने वाली अच्छी प्रस्तुति ... सतत बहते रहना ही जीवन है ..
ReplyDeleteसार्थक प्रेरक रचना
ReplyDeleteवह कभी असफल हो ही नहीं सकता
ReplyDeleteजिस ने खुद को लहरों के समान बना लिया
बड़ी ही सार्थक सूक्ति....
जिस ने खुद को लहरों के समान बना लिया
ReplyDeleteसत्य के मार्ग पर वह बढ़ता ही चला जाता है
बहुत सुंदर प्रेरक कविता।
हमें लहरों के समान बनना होगा।
bahut sundar
ReplyDeletemere blog se update rahe aur apni raay dete rahe
blog me raay dene ke liye dhanybaad
chhotawritersblogspot.com
जीवन जीने के सार्थक सूत्र देती रचना। बधाई।
ReplyDeletebahut khoob... ati sundar
ReplyDeleteजिस ने खुद को लहरों के समान बना लिया
ReplyDeleteसत्य के मार्ग पर वह बढ़ता ही चला जाता है|
सही बात कही है सर!
सादर