इतनी भाउकता घुस आई है मानव जीवन में,
कुछ भी पाता नहीं चलता असली नकली का|
गया था एक दिन मन्दिर में दर्शन करने, तो देखा,
पवन पुत्र पर चल रहा था पंखा बिजली का|
जान कर अनजान बने उसे नादान कहो,
हैबानियत की बात करे उसे इंसान कहो|
जो बुलाने से ना आये उसे भगवान कहो,
जो भगाने से न भागे उसे मेहमान कहो|
गया था एक दिन मन्दिर में दर्शन करने, तो देखा,
ReplyDeleteपवन पुत्र पर चल रहा था पंखा बिजली का......
आस्था का एक रूप यह भी है ........
सुंदर पंक्तियाँ.
आभार ..........
मान्यवर व्यंग्य के माध्यम से आपने बहुत सही और पते की बातें बता दीं हैं .धन्यवाद
ReplyDeleteसुंदर व्यंग्य !
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर लेख...
ReplyDeleteगया था एक दिन मन्दिर में दर्शन करने, तो देखा,
पवन पुत्र पर चल रहा था पंखा बिजली का
बिल्कुल सही लिखा है आपने।
एक और ऐसी हि पोस्ट का इन्तज़ार रहेगा।
धन्यवाद।
आपने मेरा ब्लाग देखा धन्यवाद !
ReplyDeleteजो भगाये न भागे उसे मेहमान कहो। सुन्दर अभिव्य्क्ति। बधाई।।
ReplyDeleteराम राम सा
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर लेख..लिखा आपने..
आपका हमारे ब्लॉग में स्वागत है...
http://planet4orkut.blogspot.com/
PEHLE ''QATAE''KE LIYE MUBARAKBAAD KABOOL FARMAAYEIN. BHAUTIKTAWADI HONA HAMEIN RUHANIYAT SE BAHUT DOR LIYE JAA RAHA HAI
ReplyDeleteyahi shayad kaljug hai kal purje ka yug
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