इश्के हकीकीके लिए इश्के मजाज़ी है ज़रूर,
वे वसीला कहीं बन्देको खुदा मिलता है|
'नूह' काबे मे नज़र आया न बुत भी कोई,
लोग कहते थे कि काबेमें खुदा मिलता है|
हर तलबगारको मेहनत का सिला मिलता है,
हर तलबगारको मेहनत का सिला मिलता है,
बुत है क्या चीज कि ढूंढेसे खुदा मिलता है|
यह नूर का जलवा है,हर बार नहीं होता ;
हर बार हसीनों का दीदार नहीं होता|
हर तलबगारको मेहनत का सिला मिलता है,
ReplyDeleteबुत है क्या चीज कि ढूंढेसे खुदा मिलता है|
Baat sach hai or aapka kehna sahi hai
sunder post
"हर तलबगारको मेहनत का सिला मिलता है,
ReplyDeleteबुत है क्या चीज कि ढूंढेसे खुदा मिलता है|"
सुंदर प्रस्तुति. आभार.
सादर
डोरोथी.
बहुत सुन्दर| धन्यवाद
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति. आपके ब्लाग पर आकर अच्छा लगा..
ReplyDelete....
ऑनलाइन क्विज में भाग लेकर एक माह में लाख रुपये जीतने के शानदार मौके की जानकारी के लिये यहां पधार सकते हैं - http://gharkibaaten.blogspot.com
इतनी सुन्दर मर्मस्पर्शी रचना से परिचय करने के लिए धन्यवाद...आभार..
ReplyDeletewaah!!!!!
ReplyDeleteliked your Blog. Keep it up.
ReplyDeleteYhanks for liking my poem .
ReplyDelete