शक्यो वारयितुं जलेन हुतभुक छत्रेन सुर्यातपो
नागेन्द्रो निशितान्कुशेन संदो दण्डेन गोगर्दभौ।
व्याधिर्भेषजसंग्रहैश्र्च विविधैर्मन्त्रप्रयोगैर्विष
सर्वस्यौषधमस्ती शास्त्रविहितं मूर्खस्य नास्त्यौषधम।।
जैसे आग को पानी से शांत किया जा सकता है, सूर्य की गर्मी को छाते से रोका जा सकता है, तीक्ष्ण अंकुश से मदमत्त हाथी को बस में किया जा सकता है, डंडे से बैल और गधे को रास्ते पर लाया जा सकता है; दवाइयों के प्रयोग से रोगों को ख़तम किया जा सकता है, मन्त्रों के प्रयोग से विष को उतरा जा सकता है, सभी के उपचार का विधान शास्त्रों में वर्णित है परन्तु मुर्ख की मुर्खाताके उपचार के लिए कोई औषधि नहीं है।
बहुत सच कहा है...सार्थक प्रस्तुति...गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें !
ReplyDeleteSunder rachna !
ReplyDeleteअक्षरशः सत्य..
ReplyDeleteसही बात. मूर्खता के लिए दवाई क्यों :)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!
ReplyDelete63वें गणतन्त्रदिवस की शुभकामनाएँ!
मूर्खस्य नास्त्यौषधम :)
ReplyDeleteहमारे यहाँ एक कहावत है कि अक्लमंद को इशारा काफी होता है और बेवकूफ को चार आने भी फ़िज़ूल!! इलाज तो दूर की बात है!!
ReplyDeleteमूर्खता की कोई औषधि नहीं है ...
ReplyDelete@ कई विद्वान् इस सत्य को जानकार कभी-कभी सार्वजनिक सभाओं या चर्चाओं में मौन ही रहते हैं.... क्योंकि जो विचारक किसी कुतर्की से उलझ रहे होते हैं... वे उनके छिपे मंसूबों को नहीं भाँप पाते.....
फिर भी विद्वता की कसरत होती रहनी चाहिए.... कुछ का मानना है .. रसरी आवत जात ते सिल पर परत निसान... जब तक कुछ प्रयासों से व्यक्ति की परख नहीं होगी तब तक पता कैसे चलेगा कि मूर्ख व्यक्ति किस श्रेणी का है..
जब वृश्चिक या सर्प अपना स्वभाव नहीं छोड़ते .. तब बौद्धिक कसरत करने वाले 'सत्यान्वेषी' ही क्योंकर छोड़ें?
bahut hu sundar prastuti ......abhar.
ReplyDeleteसहमत |
ReplyDeleteसोते को जगाया जा सकता है, मगर जो नशे में चूर हो उसे कैसे जगाया जाये ...
ReplyDeleteमुर्ख की मुर्खाताके उपचार के लिए कोई औषधि नहीं है।
ReplyDelete@ आपकी बात से पूरी तरह से सहमत है हम
आपको वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं!
बहुत सुन्दर,सार्थक प्रस्तुति।
ReplyDeleteसुन्दर और सार्थक विचार!
ReplyDeleteआपको बसंत पंचमी की भी शुभकामनाएँ!
सही कथन।
ReplyDeleteमूर्खता जन्मजात और असाध्य बीमारी है।
सुन्दर सारगर्भित .
ReplyDeleteमूर्खता का कोई इलाज नही है,..सत्य वचन,....
ReplyDeletewelcome to new post --काव्यान्जलि--हमको भी तडपाओगे....
sahi kaha, murkhta ka ilaaj sambhav nahin.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया एवं सटीक लिखा है आपने! मैं आपकी बातों से पूरी तरह सहमत हूँ !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर एवं सटीक बात....असहमति का तो सवाल और न ही आभार....
ReplyDeleteकृपया इसे भी पढ़े-
नेता, कुत्ता और वेश्या
लेकिन, खोज जारी है... और जरूरी है।
ReplyDeleteNice Blog , Plz Visit Me:- http://hindi4tech.blogspot.com ??? Follow If U Lke My BLog????
ReplyDeleteSatya vachan.
ReplyDeleteबिलकुल सही बात.... अच्छी प्रस्तुति.
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