सुखदु:खे समे यस्य लाभालाभौ जयाजयौ| इच्छद्वेशौ भयोद्वेगौ सर्वथा मुक्त एव स: ||
वालीपलित्संयोगे कार्श्यं वैवर्न्यमेव च |कुब्जभावं च जरया य: पश्यति स मुच्यते ||
पूंस्त्वोपघातं कालेन दर्शनोंपरमं तथा |बाधिर्य प्राणमन्दत्वं य:पश्यति स मुच्यते ||
जिसकी दृष्टि में सुख-दु:ख लाभ-हानि, जय पराजय सम है तथा जिसके इच्छा-द्वेष, भय और उद्वेग सर्वथा नष्ट हो गए हैं, वही मुक्त है| बुढ़ापा आनेपर इस शरीर में झुरियां पड़ जाती हैं, सिरके बाल सफ़ेद हो जाते हैं, देह दुबली-पटली एवं कांतिहीन हो जाती है तथा कमर झुकजाने के कारण मनुष्य कुबड़ा-सा हो जाता है| इन सब बातों की ओर जिसकी सदा ही दृष्टि रहती है, वह मुक्त हो जाता है| समय आने पर पुरुषत्व नष्ट हो जाता है, आखों से दिखाई नहीं देता है, कान बहरे हो जाते हैं और प्राणशक्ति अत्यंत क्षीण हो जाती है | इन सब बातों को जो सदा देखता और इनपर विचार करता रहता है, वह संसार-बंधन से मुक्त हो जाता है|
वालीपलित्संयोगे कार्श्यं वैवर्न्यमेव च |कुब्जभावं च जरया य: पश्यति स मुच्यते ||
पूंस्त्वोपघातं कालेन दर्शनोंपरमं तथा |बाधिर्य प्राणमन्दत्वं य:पश्यति स मुच्यते ||
जिसकी दृष्टि में सुख-दु:ख लाभ-हानि, जय पराजय सम है तथा जिसके इच्छा-द्वेष, भय और उद्वेग सर्वथा नष्ट हो गए हैं, वही मुक्त है| बुढ़ापा आनेपर इस शरीर में झुरियां पड़ जाती हैं, सिरके बाल सफ़ेद हो जाते हैं, देह दुबली-पटली एवं कांतिहीन हो जाती है तथा कमर झुकजाने के कारण मनुष्य कुबड़ा-सा हो जाता है| इन सब बातों की ओर जिसकी सदा ही दृष्टि रहती है, वह मुक्त हो जाता है| समय आने पर पुरुषत्व नष्ट हो जाता है, आखों से दिखाई नहीं देता है, कान बहरे हो जाते हैं और प्राणशक्ति अत्यंत क्षीण हो जाती है | इन सब बातों को जो सदा देखता और इनपर विचार करता रहता है, वह संसार-बंधन से मुक्त हो जाता है|
अध्यापकदिन पर सभी, गुरुवर करें विचार।
ReplyDeleteबन्द करें अपने यहाँ, ट्यूशन का व्यापार।।
छात्र और शिक्षक अगर, सुधर जाएँगे आज।
तो फिर से हो जाएगा, उन्नत देश-समाज।।
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शिक्षक दिवस पर डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को नमन करते हुए आपको शुभकामनाएँ प्रेषित करता हूँ!
सत्य वचन!! रेलगाड़ी की डिब्बों पर अक्सर अश्लील उक्तियाँ लिखी मिलाती हैं, किन्तु एक बार सूक्ति लिखी मिली जो आज के आपके विचार से मेल खाती है.. लिखा था- मृत्यु का सतत स्मरण ही अमरता का रहस्य है!!
ReplyDeleteतत्त्वज्ञान से व्यक्ति अमरत्व का अनुभव कर लेता है.
ReplyDeleteसही तत्व है।
ReplyDeleteराग-द्वेष, तृष्णा मोह माया लोभ क्रोध से दूर रहना ही मुक्ति है। बंधन से मुक्ति!!
यह सम भाव आ जाये तो आनन्द ही आनन्द है।
ReplyDeleteबहुत ज्ञानवर्धक आलेख ।
ReplyDeleteलम्बे समय बाद ब्लॉग पर आपकी वापसी हुयी है, अच्छा लगा, आभार. आप जो भी लिखते हैं सार्थक लिखते हैं और प्रेरक भी. हमारे पौराणिक ग्रन्थ, वेद, उपनिषद आदि ही नहीं बल्कि अन्य ग्रन्थ जो भी हैं ज्ञान के भंडार है. मैंने ज्यादा तो नहीं पढ़े परन्तु कालिदास के रघुवंशम, अभिज्ञानशाकुंतलम, कुमारसम्भवम तथा वाणभट्ट की कादंबरी आदि ग्रन्थ विद्यार्थी जीवन में अवश्य पढ़े हैं. और बहुत गहरे मन पर छाप छोड़ गए हैं. .. संस्कृत के अनमोल खजाने को प्रस्तुत करने के लिए पुनः आभार.
ReplyDeleteआभार!
ReplyDeleteज्ञानवर्धक और अनुकरणीय विचार हैं ..
ReplyDeleteज्ञानवर्धक आलेख .........आभार !
ReplyDeleteनश्वरता और परिवर्तन की शाश्वतता की और अच्छा संकेत किया है आपने .सम और साक्षी भाव बनाए रखना जीवन की कुंजी है .आभार !आपकी ब्लोगिया दस्तक हमारा संबल है .
ReplyDeleteमंगलवार, ६ सितम्बर २०११
विकिलीक्स आर एस एस और माया .....
http://veerubhai1947.blogspot.com/2011/09/blog-post_06.html
अनुकरणीय विचार.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सार्थक रचना
ReplyDeleteआपकी सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार!!
साधुवाद
ReplyDeleteलम्बे समय बाद ब्लॉग पर आपकी वापसी हुयी है, ज्ञानवर्धक आलेख
ReplyDeleteसार्थक लेखन के लिए बधाई |
ReplyDeleteआशा
यही शाश्वत सत्य है । कबीर ने भी यही याद दिलाया है --नव द्वारे का पींजरा यामै पंछी पौन । रहत अचम्भा जानिये गए अचम्भा कौन ।
ReplyDeleteसाधुवाद. गणपति बाप्पा आपकी सारी बाधाएं दूर करे.
ReplyDeleteशाश्वत सत्य को कहा है आपने ...यह सार समझ आ जाये तो बुढापे में कोई कष्ट ही न बचे
ReplyDeleteजब तक सांस है मुक्ति कहाँ.
ReplyDeleteऐसा सम भाव होना इतना आसान नहीं ...
ReplyDeleteमुक्ति तो मन की अवस्था है ...
ज्ञानवर्धक आलेख
ReplyDeleteजब तक सांस है मुक्ति कहाँ.
ReplyDeleteजीवन को दृष्टि देती बहुत अच्छी प्रस्तुति....
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति के लिए बधाई |
ReplyDeleteआशा
सुन्दर पोस्ट बधाई
ReplyDeleteप्रेरक पोस्ट।
ReplyDeleteNo one is free. We all are slaves of someone or something.
ReplyDeleteसुख दुःख राग विराग मान हानि में सम भाव सम्यक दृष्टि यही है जीवन का अंतिम लक्ष्य कोई पा जाए तो .....
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
ReplyDeleteबहुत ज्ञानवर्धक आलेख.
ReplyDeleteVery very useful write-up. thanks
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