Sunday, May 15, 2011

सुन्दर का ध्यान कहीं सुन्दर

                             श्री गोपाल सिंह नेपाली जी की एक रचना सुन्दर का  ध्यान कहीं सुन्दर|


                  श्री गोपाल सिंह नेपाली का जन्म बिहार  प्रदेश के चंपारण जिले के बेतिया ग्राम में हुआ था| पत्रकारिता के अतिरिक्त नेपाली जी ने काव्य सेवा भी की| उनकी आरंभिक  कविताएँ छायावादी प्रभाव से समन्वित है| किन्तु कालांतर में उन्हों ने स्वतंत्र-पथ का निर्माण किया| "उमंग", "रागनी" ,"पंछी" उनके प्रसिद्द कविता संग्रह हैं| उनकी कविताओं में प्रकृति-प्रेम, जीवन की मस्ती तथा भावात्मक एकता की मधुर महक मिलती है|

सौ-सौ   अंधियारी   रातों   से  तेरी   मुस्कान   कहीं   सुन्दर 
मुख से मुख-छवि पर लज्जा का, झीना परिधान  कहीं सुन्दर 
                                                 तेरी मुस्कान कहीं सुन्दर
दुनियां देखी पर कुछ न मिला,  तुझ को देखा सब कुछ पाया 
संसार-ज्ञान  की  महिमा से, प्रिय  की  पहचान  कहीं  सुन्दर 
                                              तेरी मुस्कान कहीं सुन्दर
जब   गरजे    मेघ,  पपीहा   पिक,   बोलें-डोलें   गुलजारों   में
लेकिन  काँटों  की  झाड़ी  में, बुलबुल  का  गान  कहीं  सुन्दर 
                                              तेरी मुस्कान कहीं सुन्दर
संसार  अपार  महासागर,   मानव  लघु-लघु   जलयान  बने 
सागर  की  ऊँची  लहरों  से,  चंचल  जलयान   कहीं  सुन्दर 
                                             तेरी मुस्कान कहीं सुन्दर
तू  सुन्दर  है  पर  तू  न  कभी,  देता  प्रति-उत्तर  ममता  का
तेरी   निष्ठुर   सुन्दरता   से,   मेरे   अरमान   कहीं    सुन्दर 
                                             तेरी मुस्कान कहीं सुन्दर
देवालय  का   देवता  मौन,  पर  मन  का  देव  मधुर   बोले
 इन मंदिर-मस्जिद-गिर्जा से, मन का भगवान कहीं सुन्दर 
                                            तेरी मुस्कान कहीं सुन्दर
शीतल  जल  में  मंजुलता  है, प्यासे  की  प्यास  अनूठी  है 
रेतों   में   बहते  पानी  से,  हिरिणी   हैरान   कहीं    सुन्दर 
                                        तेरी  मुस्कान कहीं सुन्दर
सुन्दर है फूल,बिहग, तितली, सुन्दर हैं मेघ, प्रकृति सुन्दर 
पर जो आँखों में है  बसा उसी सुन्दर का  ध्यान  कहीं  सुन्दर  
                                           तेरी मुस्कान कहीं सुन्दर

39 comments:

  1. प्रसंशनीय प्रस्तुति है ।

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  2. शीतल जल में मंजुलता है, प्यासे की प्यास अनूठी है
    रेतों में बहते पानी से, हिरिणी हैरान कहीं सुन्दर
    तेरी मुस्कान कहीं सुन्दर
    सुन्दर है फूल,बिहग, तितली, सुन्दर हैं मेघ, प्रकृति सुन्दर
    पर जो आँखों में है बसा उसी सुन्दर का ध्यान कहीं सुन्दर
    तेरी मुस्कान कहीं सुन्दर

    बहुत अच्छे भाव हैं बधाई

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  3. bhut sunder parstuti... bdhaai ho....

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  4. एक मुस्कान में सारी प्रकृति का सौन्दर्य समाया है।

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  5. गोपाल सिंह नेपाली की कविता देकर आप सार्थक प्रयास कर रहे हैं भाई, नेपाली जी का यह जन्मशती वर्ष भी है. और उनकी कविताओं को जन जन तक पहुँचाने ही सच्ची श्रृद्धांजलि है. आभार.
    बारामासा की नयी पोस्ट पर आपकी प्रतिक्रिया मिट गयी है.एक बार फिर अवलोकन करने का कष्ट करें.
    ईश्वर आपको हमेशा ऊर्जावान बनाये रखें. .....शुभकामनायें.

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  6. इस सुन्दर रचना को पढ़वाने के लिए आभार!

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  7. सुन्दर रचना को पढ़वाने के लिए आभार!

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  8. सुन्दर रचना....पढ़वाने का धन्यवाद

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  9. ये मुस्कान कुदरत की मुस्कान लगती है -बहुत प्रभाव पूर्ण कविता

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  10. दुनियां देखी पर कुछ न मिला, तुझ को देखा सब कुछ पाया
    संसार-ज्ञान की महिमा से, प्रिय की पहचान कहीं सुन्दर ...

    बहुत ही सुंदर रचना .. सच लिखा है ... प्रेम की गहरी अभिव्यक्ति है नेपाली जी की इस रचना में ...

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  11. सम्माननीय गोपाल सिंह नेपाली का सुन्दर गीत .....अप्रतिम
    बहुत-बहुत आभार ...

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  12. सुन्दर है फूल,बिहग, तितली, सुन्दर हैं मेघ, प्रकृति सुन्दर
    पर जो आँखों में है बसा उसी सुन्दर का ध्यान कहीं सुन्दर

    इतनी सुंदर रचना उपलब्ध कराने के लिए आभार

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  13. अद्भुत रचना ..सुंदर शब्द का कितना बढ़िया प्रयोग...बढ़िया रचना प्रस्तुत करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद

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  14. बढ़िया रचना प्रस्तुत करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद

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  15. नेपाली जी की इस सुन्दर रचना को पढवाने के लिये आभार..

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  16. बहुत प्रभाव पूर्ण कविता प्रस्तुत करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद

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  17. बहुत बढ़िया लगा! उम्दा प्रस्तुती!

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  18. इस बेहतरीन रचना को पढ़वाने के लिए आभार!

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  19. रचना को पढ़वाने के लिए आभार आपका और सुन्दर पोस्ट

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  20. जग की सम्पूर्ण सुंदरता "एक मुस्कान" में समाहित होती है ।


    बहुत सुंदर ।

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  21. नेपाली जी की सुन्दर और बेहतरीन कविता...

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  22. बेहद खूबसूरत कविता.

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  23. सुन्दरता का विहंगम चित्र ठीक उसी तरह प्रस्तुत है जैसे आत्मा का परमात्मा से सुंदर मिलन होता है

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  24. गोपाल सिंह नेपाली की सुन्दर रचना पढ़वाने के लिए आभार!

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  25. सुंदर कविता, सुंदर, सुंदर, सुंदर, सुंदर, अति सुंदर,

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  26. बहुत ही सुंदर रचना ..रचना पढ़वाने के लिए आभार!

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  27. बड़ी सुन्दर रचना है आपका आभार !

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  28. गोपाल सिंह नेपाली जी की सुंदर कविता प्रस्तुत करने के लिए आभार।

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  29. श्री नेपाली की यह सुंदर रचना पढवाने के लिए धन्यवाद |

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  30. नेपाली जी की रचना पढ़वाने के लिए धन्‍यवाद। अभी सुना था कि नेपाली जी के पुत्र ने फिल्‍म 'स्‍लमडॉग मिलिनेयर' के निर्देशक पर मुकदमा किया है क्‍योंकि फिल्‍म में 'दर्शन दो घनश्‍यामनाथ मोरी अंखियां प्‍यासी रे' नामक गीत को सूरदास जी का गीत बताया गया है जबकि नेपाली जी के पुत्र ने दावा किया है कि यह गीत उनके पिता का लिखा हुआा है जिसे हेमन्‍त कुमार द्वारा गाया भी गया था।

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  31. उम्दा प्रस्तुति ।
    मन प्रकृतिमय हो गया ।
    बहुत सुन्दर ।

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  32. नेपाली जी के द्वारा रचित यह कविता अतिसुन्दर है यह कविता हमलोगो को अच्छी सिख देती है

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