Thursday, January 26, 2012

मुर्खता की कोई औषधि नहीं है

शक्यो वारयितुं जलेन हुतभुक छत्रेन सुर्यातपो
                           नागेन्द्रो निशितान्कुशेन संदो दण्डेन गोगर्दभौ।
व्याधिर्भेषजसंग्रहैश्र्च विविधैर्मन्त्रप्रयोगैर्विष
                सर्वस्यौषधमस्ती शास्त्रविहितं मूर्खस्य नास्त्यौषधम।।



         जैसे आग को पानी से शांत किया जा सकता है, सूर्य की गर्मी को छाते से रोका जा सकता है, तीक्ष्ण अंकुश  से मदमत्त हाथी को बस में किया जा सकता है, डंडे से बैल और गधे को रास्ते पर लाया जा सकता है; दवाइयों के प्रयोग से रोगों को ख़तम किया जा सकता है, मन्त्रों के प्रयोग से विष को उतरा जा सकता है, सभी के उपचार का विधान शास्त्रों में वर्णित है परन्तु मुर्ख की मुर्खाताके उपचार के लिए कोई औषधि नहीं है।

22 comments:

  1. बहुत सच कहा है...सार्थक प्रस्तुति...गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें !

    ReplyDelete
  2. सही बात. मूर्खता के लिए दवाई क्यों :)

    ReplyDelete
  3. मूर्खस्य नास्त्यौषधम :)

    ReplyDelete
  4. हमारे यहाँ एक कहावत है कि अक्लमंद को इशारा काफी होता है और बेवकूफ को चार आने भी फ़िज़ूल!! इलाज तो दूर की बात है!!

    ReplyDelete
  5. मूर्खता की कोई औषधि नहीं है ...
    @ कई विद्वान् इस सत्य को जानकार कभी-कभी सार्वजनिक सभाओं या चर्चाओं में मौन ही रहते हैं.... क्योंकि जो विचारक किसी कुतर्की से उलझ रहे होते हैं... वे उनके छिपे मंसूबों को नहीं भाँप पाते.....
    फिर भी विद्वता की कसरत होती रहनी चाहिए.... कुछ का मानना है .. रसरी आवत जात ते सिल पर परत निसान... जब तक कुछ प्रयासों से व्यक्ति की परख नहीं होगी तब तक पता कैसे चलेगा कि मूर्ख व्यक्ति किस श्रेणी का है..
    जब वृश्चिक या सर्प अपना स्वभाव नहीं छोड़ते .. तब बौद्धिक कसरत करने वाले 'सत्यान्वेषी' ही क्योंकर छोड़ें?

    ReplyDelete
  6. सोते को जगाया जा सकता है, मगर जो नशे में चूर हो उसे कैसे जगाया जाये ...

    ReplyDelete
  7. मुर्ख की मुर्खाताके उपचार के लिए कोई औषधि नहीं है।
    @ आपकी बात से पूरी तरह से सहमत है हम
    आपको वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं!

    ReplyDelete
  8. बहुत सुन्दर,सार्थक प्रस्तुति।

    ReplyDelete
  9. सुन्दर और सार्थक विचार!
    आपको बसंत पंचमी की भी शुभकामनाएँ!

    ReplyDelete
  10. सही कथन।
    मूर्खता जन्मजात और असाध्य बीमारी है।

    ReplyDelete
  11. सुन्दर सारगर्भित .

    ReplyDelete
  12. बहुत बढ़िया एवं सटीक लिखा है आपने! मैं आपकी बातों से पूरी तरह सहमत हूँ !

    ReplyDelete
  13. बहुत सुन्दर एवं सटीक बात....असहमति का तो सवाल और न ही आभार....
    कृपया इसे भी पढ़े-
    नेता, कुत्ता और वेश्या

    ReplyDelete
  14. लेकिन, खोज जारी है... और जरूरी है।

    ReplyDelete
  15. बिलकुल सही बात.... अच्छी प्रस्तुति.

    ReplyDelete