Thursday, November 25, 2010

"माँ"

पिता पेड़ है                                                                            
हम शाखाएं  हैं उसकी  
माँ छाल की तरह चिपकी हुई है
पूरे पेड़ पर
जब भी चली है पेड़ पर कुल्हाड़ी 
पेड़ या उसकी शाखाओं पर 
माँ गिरी है सब से पहले
टुकड़े होकर|

Sunday, November 21, 2010

" निरोगी" दोहे

१. शीतल  जल में डालकर सौफ  गलाओ  आप |          
   मिश्री  के संग  पान  कर  मिटे  दाह- संताप ||

२.फटे विमाइ  या मुंह फटे , त्वचा खुरदुरी होय |
   नीबू-मिश्रित  आंवला  सेवन  से  सुख होय ||

३. सौंफ  इलाइची गर्मीमें, लौंग सर्दी में खाय |
    त्रिफला सदाबहार है, रोग सदैव  हार जाय ||

४.वात-पित्त जब जब बढे, पहुंचे अति कष्ट |
   सौंठ, आंवला, दाख संग खावे पीड़ा नष्ट ||                                   
                                 
 ५.छल प्रपंचसे दूर हो, जन मंगल की चाह |
    आत्मनिरोगी जन वही गहे सत्यकी राह ||
साभार  कल्याण

Sunday, November 14, 2010

" हंसिकाएं "

इतनी भाउकता घुस आई है मानव जीवन में,
कुछ भी पाता नहीं चलता असली नकली का|
गया था एक दिन मन्दिर में दर्शन करने, तो देखा,
पवन पुत्र पर चल रहा था पंखा बिजली का|
               
जान कर अनजान बने उसे नादान कहो,
हैबानियत की बात करे उसे इंसान कहो|
जो बुलाने से ना आये उसे भगवान कहो,
जो भगाने से न भागे उसे मेहमान कहो|      

Thursday, November 4, 2010

|| ईश वंदना ||


हे प्रभो आनंद दाता ज्ञान हम को दीजिए|
शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हम से कीजिए||
लीजिए हमको शरण में हम सदा चारी बनें|
ब्रह्मचारी  धर्मरक्षक वीर ब्रतधारी बनें||
हे प्रभो.......
सत्य बोलें झूठ  त्यागें मेल आपस में करें|
दिब्य जीवन हो हमारा  यश  तेरा गाया करें||
हे प्रभो.......
प्रेमसे हम गुरुजनों की नित्य ही सेवा करें|
प्रेमसे हम संस्कृति की नित्य ही सेवा करें||
हे प्रभो....
योगबिद्या ब्रह्मबिद्या हो अधिक प्यारी हमें|
ब्रह्मनिष्ठा प्राप्त करके सर्वहितकारी बनें||
हे प्रभो आनंद दाता ज्ञान हम को दीजिए|
शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हम से कीजिए||
                                                       
ज्योति पर्व दीपावली सभी के लिए ज्योतिर्मय हो|
बहुत सारी शुभकामनाओं सहित|