Monday, January 24, 2011

||संत कबीर के दोहे||

                 न्हाये धोये क्या भया, जो मन मैल न जाय| 
                    मीन  सदा जल में  रहै, धोये  बास  न जाय||      
प्रेम  न  बाड़ी  ऊपजै,  प्रेम  न  हाट  बिकाय|
राजा  परजा  जेहि रुचे, सीस देई लै  जाय||  
साई  इतना  दीजिए,  जामें   कुटुम  समाय|
मैं  भी  भूखा  ना  रहूँ, साधु  न  भूखा  जाय||
धीरे  धीरे  रे  माना,  धीरे  सब  कुछ  होय|
माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आये  फल होय||
तेरा   साईं  तुज्झ्में, ज्यों  पहुपन  मैं   बास|
   कस्तूरिका मिरग ज्यों,फिर फिर सूंघे घास||
                      काम क्रोध मद  लोभ की,जब लगि घट में खान|
कहा  मुरख   कहा  पंडिता,  दोनों  एक  सामान||
साँच  बराबर  ताप  नहीं,  झूट  बराबर  पाप|
जाके   हिरदै   साँच   है,  ताके  हिरदै  आप||
ऐसी  बानी  बोलिए  मन  का  आप  खोय|
औरन कौं सीतल करै, आपहु सीतल होय||

31 comments:

  1. पुराने पन्ने याद आ गए स्कूल की किताब के....
    सालों बाद भी उतनी ही सही बात लगती है.....

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  2. आज भी ये शब्द जीवन जीने का तरीका बताते हैं. पुनः याद कराने के लिए आभार.

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  3. ज़िन्दगी के सच याद दिलाने के लिया शुक्रिया..

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  4. बहुत सुन्दर सीख देते दोहे।

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  5. संत कबीर आज ही नहीं आने वाले कल में भी सार्थक रहेंगे ,बस लोग समझें और अमल करें तो लाभान्वित हो सकते हैं.संत कबीर आज ही नहीं आने वाले कल में भी सार्थक रहेंगे ,बस लोग समझें और अमल करें तो लाभान्वित हो सकते हैं.

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  6. हर शब्द सार्थक एवं जीवन मे उतारने के लिए है,
    आभार

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  7. संत कबीर के दोहे आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उनके काल में रहे होंगे !

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  8. कबीर साहेब सद्गुरु थे ! सदा रहे हैं सदा रहेंगे !

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  9. Hame to bahut hi achchi tarah yad hai ye dohe aaj bhi. Bahut badi seekh hai in chote chote dohe me..Aabhar

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  10. कबीर वाणी आज भी प्रासंगिक है. ... कौन कबीर मार्ग पर चल पाया ... उनके शब्दों के गूढ़ अर्थों को विरले ही समझ पाते हैं ..... और जो उनके "ढाई आखर प्रेम का .........." पढ़ पाया वह इंसानियत की अलख जगा रहा है आज ....... सुन्दर पोस्ट के लिए आभार.

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  11. bahut hi sunder pratuti...kabir ke dohe aaj bhi une hi prasngik hai.

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  12. आप सब को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएं.

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  13. ऐसी बानी बोलिए मन का आप खोय|
    औरन कौं सीतल करै, आपहु सीतल होय||

    आज भी ये दोहे सुनते है तो चित शांत होता है ....

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  14. गणतंत्र दिवस की 62 वीं वर्षगाँठ पर आपको हार्दिक शुभकामनायें।

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  15. Happy Republic Day..गणतंत्र िदवस की हार्दिक बधाई..

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  16. हर पंक्ति एक अच्छे विचार को जन्म देती हुई रचना !

    बहुत सुन्दर विचार !

    गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत बधाई !

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  17. साँच बराबर ताप नहीं, झूट बराबर पाप|
    जाके हिरदै साँच है, ताके हिरदै आप...

    I very strongly believe in the above couplet.

    .

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  18. सुन्दर पोस्ट के लिए आभार.
    62वें गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर आप को हार्दिक शुभकामनाएं।
    आभार।

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  19. बहुत सुन्दर सीख देते दोहे।
    62वें गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर आप को हार्दिक शुभकामनाएं।
    आभार।

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  20. ऐसी बानी बोलिए मन का आप खोय|
    औरन कौं सीतल करै, आपहु सीतल होय||

    बचपन की याद दिला दी .....

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  21. बहुत सुन्दर संकलन है आप का
    बहुत अच्छा लगा

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  22. bahut bahut badhai kabir ki prasangikata kal jitani thi aaj bhi utani hi hai

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  23. बहुत सुन्दर सीख देते दोहे।

    सार्थक प्रस्तुति,जी धन्यवाद।

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  24. कबीर आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं.....याद दिलाने का आभार !

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  25. Very good kept up. kabira kadha bhazar me sabki mang khair. Na kisi se dosti na kisi se bair.

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  26. kabir ji ke dohe jivan ki sachai bayan karte hai bahut sunder post....

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