यह एक कुमाऊ की पुरानी लोक कथा है| किसी गांव मे एक गरीब परिवार रहता था | परिवार क्या था एक माँ थी एक बेटी थी| बेटी का नाम पुतइ था| दोनों माँ बेटी जंगल से फल फूल तोड़ कर उन्हें बेच कर अपना गुजारा चलाती थीं| एक दिन माँ जंगल मे फल फूल तोड़ने गई |बेटी को घर की रखवाली के लिए घर मे छोड़ गई| घर मे पहले दिन के कुछ फल पड़े हुए थे| माँ जंगल को जाते समय कह गई थी कि इन फलों का ध्यान रखना| इन फलों को कोई खा ना जाए| बेटी ने ऐसा ही किया| चिड़िया तोते आदि उड़ाती रही| शाम को जब माँ घर आई तो देखा कि फल पहले से कम हैं क्यूंकि फल सूख चुके थे| सूखने के बाद वह कम हो गए| माँ ने गुस्से में आकर बेटी के सर में डंडा दे मारा और बेटी की मौत हो गई| रात को खूब बारिश होगइ उस से उसके फल भीग गए भीगने के बाद फल फिर से उतने ही हो गए |यह देख कर माँ को बहुत पछतावा हुआ कि फल तो पूरे ही हैं|मैंने बगैर सोचे समझे ही अपनी बेकसूर बेटी को मार डाला|और वह कहने लगी "पुर पुतइ पुरै पुर " अर्थात वह अपनी बेटी से कहती है कि बेटी फल तो पूरे के पूरे हैं| मैंने ही तुझे गलत समझ कर मार डाला है|वह इस गम को सहन नहीं कर सकी और पुर पुतइ पुरै पुर कहते हुए उसके भी प्राण निकल गए| कहते हैं अगले जन्म मे उसने घुघूती (फाख्ता) के रूप मे जन्म लिया और वह आज भी इधर उधर पेड़ों मे बैठ कर "पुर पुतइ पुरै पुर" पुकारती फिरती है| इसलिए बगैर सोचे समझे कोई काम नहीं करना चाहिए|
प्रेरक और भावपूर्ण लघु कथा ! आपा खो देने के बाद बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है !
ReplyDeleteprerna deti katha...
ReplyDeleteप्रेरक कथा है ... बहुत कुछ सिखाती है इंसान को ...
ReplyDeleteप्रभावशाली प्रस्तुति.........
ReplyDeleteसुन्दर कहानी ....मेरे भी ब्लॉग पर आये
Deleteबिना सोचे सच में कोई काम नहीं करना चाहिये..
ReplyDeleteबिना बिचारे जो करे, सो पाछे पछताय....... को बयां करती एक अच्छी कहानी.
ReplyDeleteलेकिन कहानी में फल का जिक्र नहीं किया गया.
अनुकरणीय और प्रेरक कथा ...
ReplyDeleteप्रेरक प्रसंग!
ReplyDeleteprerak prasang.....paltu nevle wali kahani yaad aa gayi...bina soche samjhe koi bhi kam karna hi nhi chaiye....par phir bhi ham karte hei....tab yahi lok kathaye hame yaad dilati hei...
ReplyDeleteसांप और नेवले वाली कहानी याद हो आई!!
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया हैं कहानी |
ReplyDeleteउत्तम सीख, सुन्दर पोस्ट, ... आपको सपरिवार , होली की शुभ कामनाएं
ReplyDeletebeautiful story
ReplyDeleteबहुत बढ़िया चिंतनशील प्रस्तुति के लिया आभार
ReplyDeleteमित्रवर
आप से निवेदन है कि एक ब्लॉग सबका
( सामूहिक ब्लॉग) से खुद भी जुड़ें और अपने मित्रों को भी जोड़ें... शुक्रिया
@ फल> kahin aapka aashay "GHUN KAAFAL" se to nahi?
ReplyDeleteuprokt prerak kahani hetu aabhar....!
bahut badhiya prastuti.
ReplyDeleteसुंदर सीख देती कहानी,...
ReplyDeleteफालोवर बन गया हूँ आप भी बने मुझे खुशी होगी,....
मेरे पोस्ट पर आइये स्वागत है,..
NEW POST...फिर से आई होली...
NEW POST फुहार...डिस्को रंग...