Monday, February 20, 2012

"आत्मा की आवाज"

                किसी गांव में  एक गरीब ब्राह्मण  रहता था | ब्राह्मण  गरीब होते हुए भी सच्चा और इमानदार था| परमात्मा में  आस्था रखने वाला था | वह रोज सवेरे उठ कर गंगा में  नहाने जाया करता था| नहा धो कर पूजा पाठ किया करता था| रोज की  तरह वह एक दिन गंगा में  नहाने गया नहा कर जब वापस आ रहा था तो उसने देखा रास्ते में  एक लिफाफा पड़ा हुआ है| उसने लिफाफा उठा लिया| लिफाफे को खोल कर देखा तो वह ब्राह्मण  हक्का बक्का रह गया लिफाफे मे काफी सारे नोट थे| रास्ते में  नोटों को गिनना  ठीक न समझ कर उसने लिफाफा बंद कर दिया और घर की तरफ चल  दिया| घर जाकर उसने पूजा पाठ करके लिफाफे को खोला | नोट गिनने पर पता चला कि  लिफाफे मे पूरे बीस हजार रूपये थे| पहले तो ब्रह्मण ने सोचा कि भगवान  ने उस की सुन ली है| उसे माला माल  कर दिया है |
           
            ब्राह्मण  की ख़ुशी  जादा देर रुक नहीं सकी| अगले ही पल उसके दिमाग  में  आया कि हो सकता है यह पैसे मेरे जैसे किसी गरीब के गिरे हों| सायद किसी ने अपनी बेटी की शादी  के लिए जोड़ कर रख्खे हों| उसकी आत्मा ने  आवाज दी कि वह इन पैसों को ग्राम प्रधान को दे आये| वह उठा और ग्राम प्रधान के घर की तरफ को चल  दिया| अभी वह ग्राम प्रधान के आँगन  मे ही गया था उसे लगा कोई गरीब आदमी पहले से ही ग्राम प्रधान के घर आया हुआ है | वह भी उन के पास पहुँच गया| गरीब आदमी रो-रोकर प्रधान  को बता रहा  था की कैसे कैसे यत्नों से उसने पैसे जोड़े थे पर कहीं रास्ते में  गिर गए थे| सारी कहानी सुन ने पर गरीब ब्रह्मण ने जेब से पैसे निकले और उस गरीब आदमी को देते हुए कहा कि मुझे ये पैसे रास्ते में  मिले हैं| आप की कहानी सुन ने के बाद अब यकीन हो गया है कि ये पैसे आप के ही है| पैसे देखते ही गरीब के चेहरे पर रौनक  आ गई | गरीब ब्राह्मण  ने कहा पैसे गिन लीजिये| गरीब आदमी ने ब्राह्मण  का धन्यवाद करते हुए कहाकि पैसे तो पूरे ही हैं इसमे से में  आप को कुछ इनाम देना चाहता हूँ | गरीब ब्रह्मण ने कुछ भी लेने से इंकार कर दिया| ब्राह्मण  अपने घर को वापस  आ गया उस को इस बात की ख़ुशी थी कि  उसकी आत्मा की आवाज की जीत हुई है |
                                                     

 


23 comments:

  1. सुंदर कथा ...
    आभार..

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  2. मैंने जब नौकरी ज्वाइन की थी तो ट्रेनिंग में बहुत सारी बातें सिखाई गयीं.. लेकिन अंतिम दिन हमारे शिक्षक महोदय ने कहा कि इस सारी ट्रेनिंग के ऊपर एक सिद्धांत याद रखो कि हमेशा कोई भी निर्णय लेने के पहले अपनी आत्मा की आवाज़ ज़रूर सुनो!!
    आज आपकी इस कहानी ने वह सबक याद दिला दिया!

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  3. सुन्दर कथा परन्तु यह वाक्यांश "गरीब होते हुए भी सच्चा और इमानदार था|" कुछ अटपटा सा है. इससे कुछ ऐसा आभास होता है कि गरीब साधारनतया बेईमान होते हैं.

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  4. प्रेरक पोस्ट. स्वार्थ से परे होकर ब्राहमण द्वारा पूरे रुपये लौटाया जाना एक अच्छी सीख देता है. आभार.

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  5. आत्मा हमेशा ही हमारा सही मार्गदर्शन करती है ,उसकी आवाज हमसभी को सुननी ही चाहिए ...प्रेरक कथा

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  6. आत्मा की ये आवाज कल चर्चा मंच तक भी पहुचेगी ,

    सादर

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  7. आत्मा की आवाज सच ही बोलती है...

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  8. आपकी कहानी अच्छी लगी। सार्थक कहानी के लिए आपका आभार।

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  9. आत्मा की आवाज ही हमारे सुख के भार तले दबा किसी का दुख पहचान सकती है।

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  10. "गरीब होते हुए भी सच्चा और इमानदार था|" वाक्यांश यह याद दिलाता है कि खुद जरूरतमन्द होते हुये भी दूसरे जरूरतमन्द लोगों का ख्याल रखने वाला था। जबकि धनवान और अमीर लोग भरे पूरे होते हुये भी गरीबों को और कुचलने वाले होते हैं।

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  11. आत्मा की आवाज हमेशा सही होती है...बहुत प्रेरक कथा..

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  12. सुन्दर...
    संतोष धन से बड़ा कोई धन नहीं...

    शुक्रिया.

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  13. .सार्थक ख़ुशी देती कथा .

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  14. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति।

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  15. आत्मा की आवाज पर ही चलना चाहिए, यही तो जीवन का बोध कराती है.

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  16. ईमानदारी का सुख सबसे बड़ा और नींद सबसे मीठी होती है ...जिसके पास यह दोनों हों, उससे धनी कोई नहीं !!!!!

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  17. bahut hi sundar pravishti lagi ....vastaav me eemandari jindgi ki safalata ki kunji hai ..sadar abhar.

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  18. इमानदारी ही जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है,
    बहुत बढ़िया सराहनीय प्रस्तुति के लिए बधाई .

    NEW POST काव्यान्जलि ...: चिंगारी...

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  19. प्रेरणादायक, सुन्दर कहानी.

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  20. पैसे को असली अधिकारी तक पहुँचा कर उसने पुण्य किया. प्रेरणादायक.

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