श्री गोपाल सिंह "नेपाली" जी की एक रचना, भाई बहन|
तू चिंगारी बनकर उड़ री, जाग- जाग में ज्वाला बनूँ :
तू बन जा हृहराती गंगा, मैं झेलम बेहाल बनूँ |
आज बसंती चोला तेरा, मैं भी सज लूं, लाल बनूँ :
तू भगिनी बन क्रांति कराली, मैं भाई विकराल बनूँ |
यहाँ न कोई राधा रानी, ब्रिन्दावन , बंशीवाला:
तू आँगन की ज्योति बहन री, मैं घर का पहरेवाला |
बहन प्रेम का पुतला हूँ मै, तू ममता की गोद बनी:
मेरा जीवन क्रीडा-कौतिक, तू प्रत्यक्ष प्रमोद बनी|
मैं भाई फूलों में भूला, मेरी बहन विनोद बनी:
भाई की गति,मति भगिनी की दोनों मंगल-मोद बनी|
यह अपराध कलंक सुशीले, सारे फूल जला देना:
जननी की जंजीर बज रही, चल तबियत बहला देना|
भाई एक लहर बन आया, बहन नदी की धारा है:
संगम है, गंगा उमड़ी है, डूबा कुल किनारा है |
यह उन्माद, बहन को अपना भाई एक सहारा है :
कह अलमस्ती ,एक बहन ही भाई का ध्रुबतारा है |
पागल घडी, बहन-भाई है, वह आजाद तराना है :
मुसीबतों से बलिदानों से पत्थर को समझाना है|
श्री गोपाल सिंह "नेपाली" जी की यह रचना, वीर-रस से ओतप्रोत है।
ReplyDeleteभावप्रवण कविता पढवाने का आभार, मित्र!!
भाई एक लहर बन आया, बहन नदी की धारा है:
ReplyDeleteसंगम है, गंगा उमड़ी है, डूबा कुल किनारा है |bahut sundar hai bhai bahan ke sambandhon ki vyakhya.
bahut sunder rachna hein bhaiya ji
ReplyDeleteparastut kare ke liye aapka bahut bahut aabhar
blog par niymit nahi aa paya mafi chata hoon
ReplyDeleteमेरे नवोदित ब्लॉग पर आने एवं अपना बहुमूल्य कमेन्ट देने के लिए धन्यवाद , ऐसे ही आशीर्वाद देते रहें
ReplyDeleteavinash001.blogspot.com
अच्छी प्रस्तुति. गोपाल सिंह 'नेपाली' का काफी नाम सुना पर ज्यादा नहीं जानता. थोड़ा संक्षिप्त परिचय दे देते तो ....... बहरहाल. आभार ............. अनेकानेक शुभकामनायें.
ReplyDeleteपढ़वाने का आभार।
ReplyDeleteनेपाली जी की इतनी सुंदर ओजपूर्ण कविता पढवाने का आभार ।
ReplyDelete"कह अलमस्ती ,एक बहन ही भाई का ध्रुबतारा है'
ReplyDeleteगोपाल सिंह जी के लेखन से मेरा परिचय करने के लिए बहुत धन्यवाद ..
आज बसंती चोला तेरा, मैं भी सज लूं, लाल बनूँ :
ReplyDeleteतू भगिनी बन क्रांति कराली, मैं भाई विकराल बनूँ ..
Beautiful lines !
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बहुत खूब!
ReplyDeleteबहुत दिन हो गए इसे कहे-सुने हुए!
आभार आपका इसे याद दिलाने के लिए।
नेपाली जी की इतनी सुंदर ओजपूर्ण कविता पढवाने का आभार ।
ReplyDeleteयहाँ न कोई राधा रानी, ब्रिन्दावन , बंशीवाला:
ReplyDeleteतू आँगन की ज्योति बहन री, मैं घर का पहरेवाला ...
बहुत ओज़स्वी रचना है ... मधुर शब्दों में बँधी ...
बेहतरीन कविता....नेपाली जी की इस सुंदर ओजपूर्ण कविता के लिए आपका आभार ...
ReplyDeleteआप की बहुत अच्छी प्रस्तुति. के लिए आपका बहुत बहुत आभार आपको ......... अनेकानेक शुभकामनायें.
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आने एवं अपना बहुमूल्य कमेन्ट देने के लिए धन्यवाद , ऐसे ही आशीर्वाद देते रहें
आइये हम सब मिल कर खुदा से दुआ करते हैं........... ए खुदा इससे पहले कि मौत हमें रुसवा कर दे..तू हमारे जिस्म हमारी रूह को अच्छा कर दे......ये जो हालत है हमारी हमने ही बनाई है जैसा तू चाहता है अब वैसा कर दे. हमारे हर फैसले में तेरी रजा शामिल हो. जो तेरा हुक्म हो वो हमारा इरादा कर दे..... हममे जो बीमार हैं उनको तू शिफा दे............
wah bahut dino baad koi apne jesa likhne baala milaa.....
ReplyDeletebahut khub..
ek link send kar rha hu dekh lijiyega..
shayd aap ko acchi lage..
http://amiajimkadarkht.blogspot.com/2011_02_07_archive.html
गोपाल सिंह जी से परिचय के लिए बहुत धन्यवाद !
ReplyDeleteआभार...
ReplyDeleteयहाँ न कोई राधा रानी, ब्रिन्दावन , बंशीवाला:
ReplyDeleteतू आँगन की ज्योति बहन री, मैं घर का पहरेवाला |
श्री गोपाल सिंह "नेपाली" जी की यह रचना-प्रस्तुति के लिए आपका बहुत-बहुत आभार.
सुंदर कविता के लिए कवि और प्रस्तोता दोनो बधाई के पात्र हैं|
ReplyDeleteआदरणीय गोपाल सिंह नेपाली जी की ओजपूर्ण , भाई-बहन के मधुर संबंधों की सुन्दर कविता पढवाने का बहुत-बहुत आभार ....
ReplyDeleteशिथिल रगों में रक्त का संचार करती हुई,
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता पोस्ट की है आपने!
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श्री गोपाल सिंह "नेपाली" जी की रचना पढ़वाने के लिए
आपका बहुत-बहुत आभार.
पागल घडी, बहन-भाई है, वह आजाद तराना है :
ReplyDeleteमुसीबतों से बलिदानों से पत्थर को समझाना है|
नेपाली जी की इतनी सुंदर ओजपूर्ण कविता पढवाने का आभार....
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteइतनी सुंदर कविता पढवाने का आभार ।
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति. के लिए आपका बहुत बहुत आभार
ReplyDeleteप्रभावी रचना .....
ReplyDeleteबहुत अच्छी कविता
ReplyDeleteआपका आभार
बहुत सुन्दर , बहुत-बहुत आभार ....
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बेहतरीन कविता.....आपका आभार
ReplyDeleteधन्यवाद जी, मैं ब्लॉग जगत में नया हूँ तो मेरा मार्गदर्सन करे..
इस कविता का लिंक मैं अपने फेसबुक पर शेयर कर रही हूं. काफी दिनों से इसा कविता की खोज में थी. आभार.
ReplyDeleteBhoole hue kavi ki ek bhooli hui rachna ka uddhar kar aapney adbhut anand diya hame,hardik aabhaar aapka /
ReplyDeletesunder blog laga ,hame aise hi anandit kartey rahenge yah vishwas hai /sasneh
dr.bhoopendra
rewa
mp
ओजपूर्ण प्रस्तुति ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ।