Friday, May 6, 2011

कर्म ही कर्तव्य है

                 मानव-जीवन पाकर भी, भगवत्प्राप्ति का उद्देश्य समझकर भी मनुष्य दिग्भ्रमित क्यों रहता है? क्या जीवन उसे उसकी इच्छा से प्राप्त हुआ है? अमुक वंश या अमुक जाति में जन्म पाना मनुष्य के बस की बात नहीं है| फिर क्यों न मनुष्य जहाँ प्रभु की इच्छासे जीवन जीने का स्थान मिला, उसे ही अपनी कर्मभूमि समझ अपने योग्यतानुसार प्रभु कार्य में लगाकर अपना जीवन सफल करने का प्रयास करे|
                मनुष्य को जो कुछ भगवान ने दिया है उसके प्रति आभार ब्यक्त करने की अपेक्षा जो नहीं मिला उसे लेकर वह चिंतित तथा दु:खी रहता है|  भौतिक सुख-साधनों को सर्वोपरि  समझ कर परमार्थ को भूल जाता है| अपने जिम्मे आये कार्यों  को करना नहीं चाहता| केवल भोग भोगना चाहता है, कितनी बड़ी मूर्खता  करता है|
                एक किसान हल चलाता  और खेत की मिटटी को नरम कर उसमें बीज  डालता है| उसके पश्चात् प्राकृत या परमात्मा के अनुग्रह से फसल होती है तथा फल भी प्राप्त होता है| यदि भाग्य में नहीं होता तो वर्षा न होने या कम होने से लाभसे वंचित भी रह जाता है| मगर यदि मेहनत नहीं करेगा, बीज  नहीं बोएगा तो  कितनी ही अच्छी वर्षा से फल लाभ     दायक नहीं हो सकता | ईश्वर की सहायता भी तभी फली भूत होती है जब हम ने अपना कार्य किया हो| केवल आशावादी बनकर कर्म-विमुख जीवन निरर्थक है| बिना बीज बोए तो अनपेक्षित झाड़-झंखाड़ ही पैदा होंगे और शेष जीवन उन झाड़ियों के उखाड़ फेंकने में ही बीत जाएगा| (कल्याण में से)

38 comments:

  1. बिना बीज बोए तो अनपेक्षित झाड़-झंखाड़ ही पैदा होंगे और शेष जीवन उन झाड़ियों के उखाड़ फेंकने में ही बीत जाएगा............

    सार्थक आलेख.प्रेरक विचार.

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  2. कर्म ही श्रेष्ठ है

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  3. पढ़ो, समझो और करो.

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  4. कर्तव्‍य में वर्तनी 'ब्‍य' रखने का कोई खास कारण.

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  5. सोचने की बात है।

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  6. नेपाली जी की कविता तथा यह उद्धरण दोनों ही प्रेरक एवं अनुकरणीय हैं.

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  7. सार्थक प्रेरक विचार........

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  8. बहुत सुन्दर और सार्थक प्रेरणा दी है आपने.
    प्रभु की कृपा हम सभी पर है,परन्तु कर्म हमारे ही हाथ में हैं.
    कर्म जीवन का सार है, जिसको तत्वज्ञान द्वारा समझा जा सकता है.जो कर्म के बारे में अनभिज्ञ रहता है उसे भटकन ही प्राप्त होती है.

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  9. apne blog ke maadhyam se aapke blog ka pata chala.pahli baar aapki rachnaayen padhi hain.bahut umda lagi.prerna daayak prastuti ke liye bahut bahut aabhar.aapke comment n wish ke liye haardik dhanyavaad.

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  10. बहुत समय तो झाड़ियाँ काटने में निकला जाता है।

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  11. बहुत सार्थक और प्रेरक आलेख..कर्म से आप मुख नहीं मोड़ सकते..

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  12. वाह एक ज़माना था जब मैं कल्याण व Bhawan's Journal का नियमित पाठक था... धीरे-धीरे न जाने कब छूट गईं ये पत्रिकाएं

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  13. पुराणों के अनुसार "जिस-जिस ने भी भगवान को प्राप्त किया केवल अपने कर्तव्य कर्म पर दृड़ रहकर ही प्राप्त किया"

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  14. बहुत सार्थक और बहुत बढ़िया पोस्ट

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  15. बहुत दिन बाद आया आपके ब्लॉग पर क्या करे इम्तेहान चल रहे है

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  16. बहुत सुन्दर और सार्थक आलेख प्रस्तुत किया है आपने! उम्दा पोस्ट!

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  17. प्रेरक पोस्ट ....

    आपकी शुभकामनायें मिलीं ...आभार

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  18. क्या जानदार बात कही है आपने धन्य है आप।

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  19. कर्मशील जीवन ही श्रेयस्कर है।
    सार्थक और जीवनोपयोगी विचार।

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  20. मदर्स डे की शुभकामनायें

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  21. बहुत सुन्दर और सार्थक प्रेरणा दी है आपने

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  22. कर्म सबसे बड़ा है ... इसलिए हर मानव का कर्तव्य है ...

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  23. सार्थक और जीवनोपयोगी विचार है !

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  24. केवल आशावादी बनकर कर्म-विमुख जीवन निरर्थक है| बिना बीज बोए तो अनपेक्षित झाड़-झंखाड़ ही पैदा होंगे और शेष जीवन उन झाड़ियों के उखाड़ फेंकने में ही बीत जाएगा| (
    jai baba banaras....

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  25. सार्थक आलेख ,कर्म की महत्ता दर्शाता ......आभार !

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  26. बहुत सही लिखा आपने. पर लोग समझते नहीं कि कर्म ही कर्तव्य भी हो सकता है.

    दुनाली पर पढ़ें-
    कहानी हॉरर न्यूज़ चैनल्स की

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  27. "बिना बीज बोए तो अनपेक्षित झाड़-झंखाड़ ही पैदा होंगे और शेष जीवन उन झाड़ियों के उखाड़ फेंकने में ही बीत जाएगा"

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  28. कर्म ही जीवन में प्रधान है. फल का पता करने वाले को ही हो तो हो. बहुत अच्छा लिखा है आपने.

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  29. ise padhkar ek kavita bachpan ki yaad aa gayi jo pathya pustak me rahi ------
    prabhu ne kar tumko daan diya
    sab vaanchhit vastu vidhan diya
    tum prapt karo inko na aho
    phir hai kiska yah dosh kaho ,
    nar ho na niraash karo man
    kuchh kaam karo kuchh kaam karo
    jag me rahkar kuchh naam karo .......

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  30. सत्यता के दर्शन कराती हुई आपकी यह पोस्ट सराहनीय है...धन्यवाद

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