Tuesday, April 12, 2011

स्याल्दे बिखोती



            बैशाखी भारत के सभी राज्यों में अलग अलग नाम से मनाई जाती है| हमारे उत्तराखंड में बैशाखी "बिखोती" के नाम से जानी जाती है| उत्तराखंड में हर एक संक्रांति को कोई मेला या त्यौहार होता है| बैशाख के महीने की संक्रांति को बिश्वत  संकरान्ति के नाम से जाना जाता है| इस दिन कुमाऊ में स्याल्दे  बिखोती का मेला लगता है| वैसे तो बिखोती को संगमों पर नहाने का भी रिवाज है| लोग बागेश्वर, जागेश्वर आदि संगमों पर नहाने जाते हैं| इस दिन इन संगमों पर भी अच्छा खासा मेला लग जाता है| इस दिन तिलों से नहाने का भी रिवाज है| तिल पवित्र होते हैं और हवन यज्ञ में प्रयोग होते हैं| कहते हैं कि साल भर में जो विष हमारे शरीर में जमा हुआ होता है इस दिन तिलों से नहाने पर वह विष झड जाता है|
           कुमाऊ में यह मेला द्वाराहाट में लगता है जो रानीखेत से २८ कि: मी: कि दुरी पर है| द्वाराहाट में पांडवों के ज़माने के कई मंदिर है, जो सभी पास पास हैं| इन मंदिर समूहों के बीच में एक पोखर (ताल ) भी है जहाँ यह मेला लगता है| इस मेले में भोट,नेपाल आदि जगहों से भी लोग आते हैं| यह मेला ब्यापारिक दृष्टि से भी काफी मशहूर है| लोगों को यहाँ पर अपनी जरुरत कि चीजों को खरीदने का मौका मिलता है|
            इस मेले में लोगों को अपनी कला का प्रदर्शन दिखने का भी अच्छा मौका मिलता है| नए कलाकार यहाँ आकर अपनी रचनाओं को गा गा कर सुनाते हैं,इस से लोगों का भी मनोरंजन हो जाता है| इस मेले में कई मशहूर कलाकार भी अपनी कला का प्रदर्शन कर के लोगों का मन मोह लेते हैं| इस सबंध में कुमाऊ के मशहूर गायक स्व: गोपाल बाबु गोश्वामी ने एक गीत गया है जिस के बोल इस तरह हैं|
            अलघतै  बिखोती मेरी दुर्गा हरे गे| सार कौतिका चनें मेरी कमरा पटे गे|
भाव:-इस बिखोती में मेरी दुर्गा खो गई है, सारे मेले में ढूढ़ते मेरी कमर थक गई है|           
           एक और गायक ने गाया है|
           हिट साईं कौतिक जानूं  द्वाराहटा | ओ भीना कसिका जानू द्वाराहटा |
भाव:-जीजा अपनी साली से मेले में चलने को कहता है पर साली अपनी मज़बूरी जताती है कैसे जाऊं मेले में|
         द्वाराहाट वैसे तो रानीखेत तहसील का एक छोटा सा क़स्बा है| यहाँ पर डिग्री कालेज है, पोलिटेक्निक है और इंजीनियरिग कालेज भी है| यहाँ से मात्र ६ कि: मी: की दूरी पर माता दूनागिरी जी का प्रसिद्द मंदिर है| जो दूनागिरी पर्वत पर बिराजमान है| कहते हैं कि इस द्रोणागिरी पर्वत पर अभी भी संजीवनी बूटी मिलती है परन्तु उसे ढूढने के लिए कोई सुशेन वेद्य चाहिए| 

                                                        
बैसाखी की हार्दिक शुभकामनाये|

फोटो साभार : google.com

41 comments:

  1. बहुत सुंदर लेख. द्वारहाटक कौतीक आपन शब्दोंक द्वारा ये दिल्ली में बैठ बेर देख ले. बहुत धन्यवाद. पहाड़क यस चित्रण करते रओ बहुत आनंद आल.

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  2. वैशाखी का बड़ा ही सुंदर मनोरम और सार्थक चित्रण आपने किया है बधाई और शुभकामनाएं |

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  3. अच्छे लेखन के लिए आप बधाई के पात्र हैं.
    मेरा ब्लॉग भी देखें दुनाली

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  4. गज़ब की जानकारी। वैसाखी की हार्दिक शुभकामनायें! धन्यवाद!

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  5. सार्थक जानकारी के लिए आपका आभार!
    साथ ही आपको वैशाखी व् राम नवमी की ढेरों शुभकामनाएँ !

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  6. सुंदर जानकारी ...वैशाखी और रामनवमी की शुभकामनायें आपको भी....

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  7. बिखौती की जानकारी प्राप्त हुयी उसके लिए भी तथा राम नवमी के लिए भी आप सब को हार्दिक मंगलकामनाएं.

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  8. बिखौती की जानकारी के लिए आभार!रामनवमी की शुभकामनायें

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  9. बढ़िया जनकारी!
    बैशाखी और अम्बेदकर जयन्ती की शुभकामनाएँ!

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  10. रोचक जानकारी... रामनवमी की शुभकामनाएँ

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  11. सार्थक जानकारी के लिए आपका आभार!
    साथ ही आपको वैशाखी व् राम नवमी की ढेरों शुभकामनाएँ !

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  12. सुंदर जानकारी ...
    वैशाखी और रामनवमी की शुभकामनायें आपको भी...

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  13. बढ़िया जानकारी। रामनवमी की शुभकामनाएँ।
    यहाँ से नेपाल कितनी दूर है...? नजदीक का बस अड्डा कौन सा है ?

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  14. सुंदर जानकारी ...
    आपको भी वैशाखी और रामनवमी की शुभकामनायें...

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  15. सुन्दर जानकारी और आपको वैशाखी की शुभकामनायें।

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  16. मेरे लिए बिलकुल नयी जानकारी है ये , मोहक वर्णन । आभार आपका।

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  17. बैसाखी की हार्दिक शुभकामनायें...

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  18. प्रवाहपूर्ण ढंग से अति रोचक जानकारी प्रस्तुत की है आपने.यूँ लगा की मै खुद ही मेले का भ्रमण कर रहा हूँ और आपके साथ ही हँस बोल रहा हूँ.आपका मेरे ब्लॉग पर आने का बहुत बहुत आभार.वैसाखी के पावन पर्व पर हार्दिक बधाई और शुभ कामनाएं.

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  19. द्वाराहाट का यह मेला एक बार हमने भी देखा है. और " ओ भीना कासिका जानू द्वारहाटा" तो कुमाऊं में बच्चे बच्चे की जुबान पर हुआ करता था.कुछ बोल अब तक याद हैं.
    सुन्दर जानकारी सुन्दर पोस्ट.

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  20. ज्ञानवर्धक सुंदर आलेख के लिए आभार . बैसाखी (बिखोती )पर्व की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं.

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  21. सुन्दर जानकारी.बैसाखी की शुभकामनाएं.

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  22. रोचक जानकारी के लिए धन्यवाद

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  23. रोचक जानकारी है। धन्यवाद।

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  24. बहुत सुंदर पोस्ट

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  25. बैसाखी की हार्दिक शुभकामनायें...

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  26. रोचक जानकारी के लिए धन्यवाद
    और
    बैशाखी और अम्बेदकर जयन्ती की शुभकामनाएँ!

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  27. स्याल्दे बिखोती पर आपका यह लेख बहुत कुछ कह गया. ....... आपको बिखोती की हार्दिक शुभकामनायें.

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  28. मुझे द्वारहाट जाने का सुअवसर मिला है। यादें ताजा़ हुईं।

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  29. शाबाश! आपने बहुत अच्छा आलेख लिखा है. ऐसे ही लिखते रहिए. बहुत-बहुत धन्यवाद और बधाई. ये हैं कुछ मेरे ब्लॉग्स: http://www.cheytnaditya.blogspot.com/ और http://www.cheytna-sansaar.blogspot.com/ अनुसरण करने के लिए और अपने विचार प्रस्तुत करने के लिए आपका भी यहाँ पर स्वागत है.
    चेतनादित्य आलोक

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  30. बिखोती पर रोचक जानकारी प्रस्तुत करने के निए आभार।
    आंचलिक संस्कृति से परिचय कराने का आपका कार्य सराहनीय है।

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  31. जाट देवता की राम राम
    पहाड के रीति-रिवाज निराले है।

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  32. बिखोती की बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें ...

    नयी जानकारी देने का आभार

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  33. खूबसूरत संस्कृतिक अवसर की झांकी के लिए शुभकामनायें !!

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  34. अच्छी जानकारी रोचक अंदाज़ में दी है .....

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  35. बहुत -बहुत शुभकामनाएं ।

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  36. वह आपने तो बहुत ही अच्छी जानकारी दी है बैसाखी की ...

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  37. janna achchha laga..sarthak post...shubhkamna

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