Thursday, February 10, 2011

स्वर्ग से मेले तक


इस बेकारी ने इस लोक तो क्या,  स्वर्ग  लोक तक दिखा दिया|
मज़बूरी से आवेदन पत्र पर, हमने भी अपना नाम लिख दिया||
सुना   है  स्वर्ग   में  पोस्टों  का,   एक  खुला   बम्पर  आया|
एक  - एक   करके   लाइन   से,  हमारा   भी   नंबर   आया||
घूमती कुर्सी  में बैठे यमराज, एक - एक करके  बुला  रहे हैं|
नुक्स  गलतियाँ  कई बता कर, बेरोजगारों  को  रुला रहे  हैं||
बोले- तुम्हारे पोस्टल आर्डर में, डेट ठीक से नहीं चढ़ी हुई है|
वैसे  भी  इस  पोस्ट  के  लिए,   तुम्हारी  उम्र  बढ़ी  हुई  हैं|| 
बोले कितने ही काल अकाल से, यहाँ भी अब भीड़ बढ़ चुकी है|
यहाँ  भी  बेकारी,  भुखमरी  की, गहरी  साज  गढ़  चुकी  है||
जाओ एक बार कर्म के मन्दिर में,फिर से माथा टेक के आओ|
वहां  लगा  है  सुन्दर  मेला,  उसका  ताँता  देख  के  आओ||
देखा  लौट के  इस जहाँ  में, बेकारी  का  मेला लगा हुआ है|
इस भीड़  में उपद्रव का, जगह जगह पर झमेला लगा हुआ है||
कहीं  सपेरा  मरे  सांप के ऊपर, अपनी बीन बजा  रहा है|
बन्दर वाला लाठी के बल पर,भूखे बन्दर को नचा रहा है||
दशा   दृश्य   मेले   की   देख,   कहीं   हम  रो  न   जाएँ|
डर   है   इस   मेले   में  आज,  कहीं   हम  खो  न  जाएँ||

29 comments:

  1. यमराज दरबार और इस लोक पर बेरोजगारी का व्यंगात्मक व सटीक चित्रण. एक अच्छी कविता के लिए आभार.

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  2. यही मेला है साहब....कभी मदारी जानवर को नचाता है तो कभी बन्दर मदारी को....
    सोचने वाली बात है....

    नमस्कार.

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  3. विचारणीय ....व्यंगात्मक पंक्तियाँ....

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  4. देखा लौट के इस जहाँ में, बेकारी का मेला लगा हुआ है|
    इस भीड़ में उपद्रव का, जगह जगह पर झमेला लगा हुआ है||
    सुन्दर व्यंग।

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  5. क्या करे साहब इसी मेले मे जीना है
    बहुत अच्छा व्यंग किया है
    शुभकामनाये

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  6. सटीक व्यंग्य....

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  7. प्रियवर
    नमस्कार !

    अच्छी व्यंग्य रचना है…
    यहाँ भी बेकारी, भुखमरी की, गहरी साज गढ़ चुकी है
    स्वर्ग में भी यही सब … !
    बढ़िया है

    बसंत पंचमी सहित बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  8. बेकारी पर व्यंग्य करती सुंदर कविता .
    अकेली बेकारी हो तो भी चले यहाँ भाई-भतिजाबाद कोढ़ में खाज जैसी स्थिति पैदा करती है . नौकरी पैसे वालों को और सिफारिश वालों को मिलती है .
    ----sahityasurbhi.blogspot.com

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  9. व्यंग्य करती सुंदर कविता .

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  10. बेरोजगारी पर अच्छी कविता है। वस्तुतः आज स्थिति ही ऐसी ही है।


    आप "वृक्षारोपण : एक कदम प्रकृति की ओर" पर पधारे, एवं बधाई दी एतदर्थ धन्यवाद!

    आप भी इस कार्य में अपना अमूल्य योगदान दें। तथा हमें सूचित करें। आपक एक कदम हमारे लिये संजीवनी साबित होगा।

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  11. बहुत अच्छा व्यंग किया है ........बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई

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  12. वाह, बढ़िया व्यंग्य है।

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  13. आज के समाज को दर्शाती एक उम्दा पोस्ट....

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  14. क्या बात है आपकी

    बहुत सुंदर कविता

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  15. मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है

    "हट जाओ वेलेण्टाइन डेे आ रहा है!".

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  16. सुन्दर हास्य कविता.

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  17. Mela Madai Mere Raipur Main Shuru Ho Rahen Hain

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  18. लाठी के बाल..लाठी के बल
    आपनी बीन..अपनी बीन

    कहीं सपेरा मरे सांप के ऊपर, अपनी बीन बजा रहा है|
    ..सुंदर पंक्ति।

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  19. गजब का प्रस्तुतीकरण !
    बधाई ।

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  20. दुनिया के मेले की जिन्‍दा तस्‍वीर.

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  21. बेकारी पर व्यंग्य करती सुंदर कविता क्या
    खूब लिखा है आपने
    ढेर सारी शुभकामनाये!!

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  22. बहुत संवेदनशील हैं आप .......शुभकामनायें !

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