पहले समय मे एक प्रदेश मे एक राजा राज्य करते थे उन का नाम था जयेंदर उन का राज्य काफी दूर दूर तक फैला हुआ था .राजा दयालु थे और अपनी परजा से काफी प्यार करते थे. परजा भी राजा को बहुत चाहती थी | राजा का एक बेटा था, जो काफी चतुर और होनहार युवराज था, वह राजा के साथ राजकाज मे भी पूरा सहयोग देता था ,कोई भी समस्या उन के सामने टिक नहीं सकती थी युवराज को शिकार करने का बहुत शौक था | एक दिन युवराज के मन मे आया कि जंगल मे जाकर शिकार ही क्यों न खेला जाए ? राजकुमार ने अपने दिल की बात राजा को बताई तो राजा ने भी ख़ुशी से आज्ञा दे दी,और उस ने राजकुमार को हिदायत भी की कि जहाँ भी कहीं रात गुजारोगे वहां के हाल चाल किसी के द्वारा मेरे पास जरुर भेजना ताकि मै तुम्हारी तरफ से बेफिक्र हो के अपना काम चलाता रहूँ| राजकुमार ने हांमी भर दी और अपने सेवादारों को साथ लेकर शिकार करने जंगल की तरफ चल दिए | उस के साथ काफी आदमियों का काफिला था| उन के पास खाने के अलावा काफी मात्रा मे हथियार थे ताकि जरुरत के समय इस्तेमाल हो सकें | काफिला अपना पड़ाव जंगल मे कहीं भी डाल लेता था | शिकार खेलते हुए राजकुमार धनुर विद्या मे पूर्ण रूप से निपूर्ण हो गया |काफिला शिकार खेलते हुए और मनोरंजन करते हुए आगे बढ़ते गया |
एक दिन राजकुमार शिकार करते करते जंगल मे कहीं दूर निकल गया और रास्ता भटक गया | काफिला राजकुमार से दूर हो गया | सेवक राजकुमार को ढूढ़ते रहे और राजकुमार सेवकों को | किसी का कोई पता नहीं चला| राजकुमार ने हिम्मत नहीं हारी वह काफिले को यहाँ वहां देखता रहा | चलते चलते उसे प्यास लग गयी नजदीक मे उसे कहीं पानी नहीं मिला| इतने बड़े जंगल मे वह अकेला पड़ गया| एक जगह कुछ रुका और अपने इष्ट देवता को याद कर के फिर आगे बढ़ गया| जंगल की सायें सायें की आवाजें उस के कानों मे गूंजने लगी और रात घिरने लगी आकाश मे तारे टिमटिमाने लगे| घोडा भी आगे चलने मे हिचकिचाने लगा| इतने बड़े जंगल मे घोडा ही राजकुमार का सहारा था| थोड़ी दूर और चलने के बाद वे खुले स्थान पर आ गए |रात आधी बीत चुकी थी और घोडा और राजकुमार दोनों प्यासे थे, थोड़ी दूर जाने के बाद उन्हें एक तालाब दिखाई पड़ा | राजकुमार और घोडा दोनों थक चुके थे और पैर लड़खड़ा रहे थे | अचानक राजकुमार के कानों मे मधुर स्वर सुनाई दिए | सामने देखा तो तालाब के किनारे पर एक सुन्दर लड़की सफ़ेद कपडे पहने हुए मछलियों से बातें कर रही थी | मछलियाँ भी पानी मे उछल उछल कर बातें कर रहीं थी| राजकुमार यह सब देख कर हैरान हुआ और आश्चर्य मे पड़ गया | सोचने लगा की कितनी निकटता है इन मछलियों और लड़की मे | वह हिम्मत करके आगे बढा| घोड़े की पदचाप सुन कर लड़की का ध्यान राजकुमार की तरफ गया| पास पहुँच कर राजकुमार ने लड़की से परिचय पूछा| लड़की बोली आप खड़े क्यों हैं ? नीचे उतर कर बैठ जाइए | राजकुमार उतरके लड़की के नजदीक बैठ गया | राजकुमार ने कहा मे अभी मुसीबत का मारा हूँ आप अपने बारे मे परिचय दीजिए | लड़की बोली मै भी इन मछलियों की तरह ही एक मछली थी| परियों की रानी हर पूर्णिमा की रात को इस तालाब मे नहाने को आती थीं और सारी रात नाचती और गाना गाती थीं | हम मछलियों को भी उन का नाचना गाना अछ्छा लगता हम भी उन के साथ नाचने लगते | एक बार परियों की रानी ने मुझे नाचते हुए देख लिया और मेरा नाच देख कर बहुत प्रसन्न हुई | और मेरी तारीफ की | उन्होंने मुझे परी लोक चलने को कहा | राजकुमार लड़की की बातों को ध्यान से सुन रहा था| फिर लड़की बोलीं मै परी लोक मे जाने को राजी हो गयी| परी रानी ने सर झुका कर अपने देवता से मुझे परी बनाने की परार्थना की| उनके देवता ने उनकी परार्थना स्वीकार कर ली| और मुझे परी बना दिया| उसी दिन से मे उन सब के साथ परी लोक मे ही रहती हूँ | जब कभी जी करता है तो मै अपनी इन सहेलियों को मिलने यहाँ आ जाया करती हूँ| उस के बाद राज कुमार ने अपने बारे मे बताया और अपनी समस्या सामने रखी और बताया की वह सुबह से भूखा प्यासा ही घूम रहा है| परी ने अपनी जादुई ताकत से राजकुमार के लिए खाना हाजिर किया | राजकुमार ने खाना खाया और पानी पिया | अपनी भूख प्यास मिटाकर घोड़े के खाने का इंतजाम किया| लड़की और राजकुमार बैठ कर देर रात तक बातें करते रहे| सुबह होने से पहले ही लड़की ने परी लोक पहुंचना था| अब परी जाने को तैयार हुई तो राजकुमार ने भी साथ चलने की इछ्छा जाहिर की| परी ने कहा की ऐसे करना मेरे लिए मुमकिन नहीं है इस बात के लिए क्षमा चाहती हूँ| आप मेरी इन सहेलियों से मिलने आ सकते हैं आप के यहाँ आने पर ये आप का स्वागत करेंगी | अगर आप मुझे मिलना चाहें तो इसी तरह आधी रात को यहाँ आ जाना मे आप को जरुर मिलूंगी| अब मुझे देरी हो रही है आप भी अपने राज्य मे चले जाओ| परी ने राजकुमार को बताया की उसका काफिला उत्तर की ओर उसको ढूंढता हुआ आ रहा है | न चाहते हुए भी परी, परीलोक की तरफ उड़ चली और राजकुमार घोड़े पर बैठ कर परी के बताए हुए रास्ते की तरफ अपने काफिले की खोज मे चल पड़ा | कुछ दूरी पर ही उसे अपने काफिले के लोग मिलगये | काफिले के साथ राजकुमार अपने राज्य मे लौट आया | राजकुमार को इस बात का दुःख था की वह परी के साथ नहीं जा सका पर उस को इस बात की ख़ुशी थी की उसकी दोस्ती एक परी के साथ होगयी है जो मुसीबत के समय उसके काम आई | राजकुमार का जब भी दिल करता वह परी को मिलने आधी रात मे तालाब के किनारे आ जाता दोनों घंटों बैठ कर बातें करते इस तरह उन का समय हसी ख़ुशी से कट ता रहा|और दोनों को अपनी दोस्ती पर नाज था|
एक दिन राजकुमार शिकार करते करते जंगल मे कहीं दूर निकल गया और रास्ता भटक गया | काफिला राजकुमार से दूर हो गया | सेवक राजकुमार को ढूढ़ते रहे और राजकुमार सेवकों को | किसी का कोई पता नहीं चला| राजकुमार ने हिम्मत नहीं हारी वह काफिले को यहाँ वहां देखता रहा | चलते चलते उसे प्यास लग गयी नजदीक मे उसे कहीं पानी नहीं मिला| इतने बड़े जंगल मे वह अकेला पड़ गया| एक जगह कुछ रुका और अपने इष्ट देवता को याद कर के फिर आगे बढ़ गया| जंगल की सायें सायें की आवाजें उस के कानों मे गूंजने लगी और रात घिरने लगी आकाश मे तारे टिमटिमाने लगे| घोडा भी आगे चलने मे हिचकिचाने लगा| इतने बड़े जंगल मे घोडा ही राजकुमार का सहारा था| थोड़ी दूर और चलने के बाद वे खुले स्थान पर आ गए |रात आधी बीत चुकी थी और घोडा और राजकुमार दोनों प्यासे थे, थोड़ी दूर जाने के बाद उन्हें एक तालाब दिखाई पड़ा | राजकुमार और घोडा दोनों थक चुके थे और पैर लड़खड़ा रहे थे | अचानक राजकुमार के कानों मे मधुर स्वर सुनाई दिए | सामने देखा तो तालाब के किनारे पर एक सुन्दर लड़की सफ़ेद कपडे पहने हुए मछलियों से बातें कर रही थी | मछलियाँ भी पानी मे उछल उछल कर बातें कर रहीं थी| राजकुमार यह सब देख कर हैरान हुआ और आश्चर्य मे पड़ गया | सोचने लगा की कितनी निकटता है इन मछलियों और लड़की मे | वह हिम्मत करके आगे बढा| घोड़े की पदचाप सुन कर लड़की का ध्यान राजकुमार की तरफ गया| पास पहुँच कर राजकुमार ने लड़की से परिचय पूछा| लड़की बोली आप खड़े क्यों हैं ? नीचे उतर कर बैठ जाइए | राजकुमार उतरके लड़की के नजदीक बैठ गया | राजकुमार ने कहा मे अभी मुसीबत का मारा हूँ आप अपने बारे मे परिचय दीजिए | लड़की बोली मै भी इन मछलियों की तरह ही एक मछली थी| परियों की रानी हर पूर्णिमा की रात को इस तालाब मे नहाने को आती थीं और सारी रात नाचती और गाना गाती थीं | हम मछलियों को भी उन का नाचना गाना अछ्छा लगता हम भी उन के साथ नाचने लगते | एक बार परियों की रानी ने मुझे नाचते हुए देख लिया और मेरा नाच देख कर बहुत प्रसन्न हुई | और मेरी तारीफ की | उन्होंने मुझे परी लोक चलने को कहा | राजकुमार लड़की की बातों को ध्यान से सुन रहा था| फिर लड़की बोलीं मै परी लोक मे जाने को राजी हो गयी| परी रानी ने सर झुका कर अपने देवता से मुझे परी बनाने की परार्थना की| उनके देवता ने उनकी परार्थना स्वीकार कर ली| और मुझे परी बना दिया| उसी दिन से मे उन सब के साथ परी लोक मे ही रहती हूँ | जब कभी जी करता है तो मै अपनी इन सहेलियों को मिलने यहाँ आ जाया करती हूँ| उस के बाद राज कुमार ने अपने बारे मे बताया और अपनी समस्या सामने रखी और बताया की वह सुबह से भूखा प्यासा ही घूम रहा है| परी ने अपनी जादुई ताकत से राजकुमार के लिए खाना हाजिर किया | राजकुमार ने खाना खाया और पानी पिया | अपनी भूख प्यास मिटाकर घोड़े के खाने का इंतजाम किया| लड़की और राजकुमार बैठ कर देर रात तक बातें करते रहे| सुबह होने से पहले ही लड़की ने परी लोक पहुंचना था| अब परी जाने को तैयार हुई तो राजकुमार ने भी साथ चलने की इछ्छा जाहिर की| परी ने कहा की ऐसे करना मेरे लिए मुमकिन नहीं है इस बात के लिए क्षमा चाहती हूँ| आप मेरी इन सहेलियों से मिलने आ सकते हैं आप के यहाँ आने पर ये आप का स्वागत करेंगी | अगर आप मुझे मिलना चाहें तो इसी तरह आधी रात को यहाँ आ जाना मे आप को जरुर मिलूंगी| अब मुझे देरी हो रही है आप भी अपने राज्य मे चले जाओ| परी ने राजकुमार को बताया की उसका काफिला उत्तर की ओर उसको ढूंढता हुआ आ रहा है | न चाहते हुए भी परी, परीलोक की तरफ उड़ चली और राजकुमार घोड़े पर बैठ कर परी के बताए हुए रास्ते की तरफ अपने काफिले की खोज मे चल पड़ा | कुछ दूरी पर ही उसे अपने काफिले के लोग मिलगये | काफिले के साथ राजकुमार अपने राज्य मे लौट आया | राजकुमार को इस बात का दुःख था की वह परी के साथ नहीं जा सका पर उस को इस बात की ख़ुशी थी की उसकी दोस्ती एक परी के साथ होगयी है जो मुसीबत के समय उसके काम आई | राजकुमार का जब भी दिल करता वह परी को मिलने आधी रात मे तालाब के किनारे आ जाता दोनों घंटों बैठ कर बातें करते इस तरह उन का समय हसी ख़ुशी से कट ता रहा|और दोनों को अपनी दोस्ती पर नाज था|
मुसीबत में जो काम आए वही सच्चा दोस्त होता है,
ReplyDeleteसन्देश देती सुंदर कहानी,.. बेहतरीन प्रस्तुति.......
MY RESENT POST ...काव्यान्जलि ...:बसंती रंग छा गया,...
कहानी का संदेश तो अच्छा है परंतु अंधविश्वास की ओर प्रेरित करता है।
ReplyDeleteरोचक सन्देश परक परिकथा .
ReplyDeleteसन्देश देती सुंदर बेहतरीन प्रस्तुति..
ReplyDeleteसार्थक सन्देश छिपा है इस कहानी में ... मुसीबत में काम आने वाला दोस्त सच्चा साथी होता है ..
ReplyDeleteशुभकामनायें राजकुमार को जो कि उनको परी मिल गयी..
ReplyDeleteअच्छी कहानी. काश ! वर्तमान में भी परियां होती. जो हम भटके हुओं को रास्ता दिखा सके.
ReplyDeleteनमस्कार जी!
ReplyDeleteसच्चा दोस्त वही जो मुसीबत में काम आए
.......सन्देश देती सुंदर कहानी
जरूरी कार्यो के ब्लॉगजगत से दूर था
आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ
प्यारी परी कथा....
ReplyDeleteसादर.
bahut acchi kahani.
ReplyDeleteनि:स्वार्थ सहयोग और नि:स्वार्थ प्रेम, वाह !!!!
ReplyDeleteरोचक सन्देश परक परिकथा .
ReplyDeleteखेद है की विलम्ब से पहुंचा हूँ.......
सार्थक संदेशप्रद कथानक!!
ReplyDeleteबचपन में पढ़ी चंदामामा की कहानी जैसी प्यारी कहानी।
ReplyDeleteप्रेरणा दायक बोध-कथा, प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार!!
ReplyDeleteनिरामिष पर - पश्चिम में प्रकाश - भारत के बाहर शाकाहार की परम्परा
bahut sunder rachna
ReplyDeletebahut sunder rachna
ReplyDeletehan..kahani vahi sarthak hai jo ak acha sandysh dykar jaay.
ReplyDeleteबहुत अच्छा कहानी है। पर छोटा है।
ReplyDeletebht acchi kahaniya for more
ReplyDeletehttps://www.apkihindikahaniya.blogspot.com
Very Good Info...
ReplyDeletehttps://www.allhindimehelp.com/adsense-account-kaise-banaye/
Great
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteNice super post HollywoodMovies
ReplyDeleteNice super post Hubflix
ReplyDeleteNice super post Hdhub4u
ReplyDeleteNice post 9xflix
ReplyDeleteNice post Tamilsex video
ReplyDelete