फूलधेयी का मतलब धेयी( देहरी ) पर फ़ूल डालकर उस घर में रहने वालों के लिए शुभकामना करना है| जिस तरह अंग्रेज लोग फूलों का गुच्छा (बुके) देकर अभिवादन करते हैं ठीक उसी तरह उत्तराँचल के कुमाऊ आँचल में चैत महीने के शुक्ल पक्ष के पड़ेले को( जिसे संवत्सर पड़ेला भी कहते हैं) इस फूलों के त्यौहार को मानते है| इस दिन से नया साल सुरु हो जाता है| शायद नए साल की ख़ुशी में ही इस त्यावाहर का प्रचालन हुवा हो|
इस त्यौहार में छोटे बच्चों की बहुत दिलचस्पी होती है| बच्चे एकदिन पहले से ही तयारी में लग जाते हैं| पहले दिन शाम को ही कई रंगों के फ़ूल तोड़ कर ले आते हैं| जिस में बुराश, प्योली, मिझाऊ, गुलाब आदि के फ़ूल होते हैं| पड़ेले के दिन सुबह उठ कर धेयी (देहरी) को लीप कर साफ किया जाता है | छोटे बच्चे नहा धो कर तयार होते हैं| फिर एक थाली या टोकरी जो बांस की बनी होती है जिसे कुमाउनी में टुपर कहते हैं में कुछ चावल और फ़ूल रख कर बच्चे गांव में हर घर की धेयी (देहरी) में जाकर फ़ूल डालते हैं और मुंह से बोलते हैं|
इस त्यौहार में छोटे बच्चों की बहुत दिलचस्पी होती है| बच्चे एकदिन पहले से ही तयारी में लग जाते हैं| पहले दिन शाम को ही कई रंगों के फ़ूल तोड़ कर ले आते हैं| जिस में बुराश, प्योली, मिझाऊ, गुलाब आदि के फ़ूल होते हैं| पड़ेले के दिन सुबह उठ कर धेयी (देहरी) को लीप कर साफ किया जाता है | छोटे बच्चे नहा धो कर तयार होते हैं| फिर एक थाली या टोकरी जो बांस की बनी होती है जिसे कुमाउनी में टुपर कहते हैं में कुछ चावल और फ़ूल रख कर बच्चे गांव में हर घर की धेयी (देहरी) में जाकर फ़ूल डालते हैं और मुंह से बोलते हैं|
फ़ूल धेयी, छम्मा धेयी, देणी द्वार, भर भाकर|
यौ धेयी सौ बार, बारम्बार नमस्कार|
फिर उस परिवार वाले बच्चों को अपनी सामर्थ मुताबिक गुड, चावल मिठाई, पैसे आदि देते हैं| इस प्रकार जो चावल और गुड इकठ्ठा होता है उस से एक पकवान बनाया जाता है जिसे सेई कहते हैं| यह पकवान चावल के हलवे की तरह होता है| जो खुद भी खाते हैं और पास पड़ोस में भी बाँटते हैं| इस तरह कुमाउनी बच्चे फ़ूल धेयी छम्मा धेयी का नारा लगा कर इस परम्परा को जिन्दा रक्खे हुए हैं|
चैत महीने में देहरी, देहरी पर फूल डालने की परंपरा गढ़वाल में भी समान रूप से है, बल्कि प्रथम पक्ष ही नहीं पूरे महीने भर. पूरे महीने के बाद इस पर्व की समाप्ति बैसाख सक्रांति को होती है ............ फूलदेई, छम्मादेयी की याद दिलाने के लिए आभार. ....... एक ह्रदयस्पर्शी पोस्ट.
ReplyDeleteमेरे लिए एकदम नई जानकारी
ReplyDeleteआभार
फूलों में हम सब हृदयों के, कोमलतम से भाव छिपे हैं।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर जानकारी...बहुत प्यारी परंपरा..
ReplyDeleteजानकारी भरी पोस्ट ..फूलों का हमारी जिन्दगी में एक अहम् स्थान है ...आपका आभार
ReplyDeleteइस पर्व की जानकारी प्राप्त हुयी .यह अच्छी बात है की इसमें बच्चों का बहुत महत्त्व है.वास्तव में बच्चे ही तो देश का भविष्य हैं उन्हें तो महत्त्व मिलना ही चाहिए जो कुमाऊं में दिया जाता है. इस महत्त्व का अनुसरण होना चाहिए.
ReplyDeleteजानकारी के लिए धन्यवाद।
ReplyDeleteशुभकामनाएं होली की।
Sunder jankari.... Bada pyara tyonhar hai....
ReplyDeleteबहुत सुंदर त्योंहार.... सुंदर जानकारी
ReplyDeleteफूल धेयी छम्मा धेयी
ReplyDeleteशानदार लेख व अति सुंदर जानकारी के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग 'मनसा वाचा कर्मणा' पर आप आये ,इसके लिए भी आपका बहुत बहुत धन्यवाद.
बिलकुल नया है ये त्यौहार हमारे लिए ..
ReplyDeleteसुन्दर फूलों से शुभकामना देना ...
रोचक !
परंपरा को जीवंत रखने की परंपरा का निर्वाह रक रहे हैं परंतु अपने आपको गुप्त रखा आपने। अपनी प्रोफ़ाइल में अपने बारे में कुछ जानकारी दें।
ReplyDeleteयह तो बड़ी ही अच्छी परंपरा है और इससे भी अच्छी बात यह है की यह परंपरा अभी तक ज़िंदा है !
ReplyDeleteअच्छा लगा पढ़कर !
आभार !
कितनी प्यारी और नयी जानकारी है, आपका हार्दिक आभार इस सुन्दर पोस्ट के लिए ...
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर जानकारी ...आभार ।
ReplyDeleteबहुत अच्छी परंपरा है।
ReplyDeleteoh ! kb thi fuldehi ?pata hi nahi chala.....
ReplyDeleteआपका हार्दिक आभार इस सुन्दर पोस्ट के लिए ...
कृपया अपना चित्र और कुछ जानकारी प्रोफ़ायल में जोङें ।
ReplyDeleteताकि आपका परिचय ब्लाग वर्ल्ड पर प्रकाशित हो सके ।
आपको होली की शुभकामनायें । धन्यवाद ।
जानकारी के लिए धन्यवाद...
ReplyDeleteआप सभी होली की हार्दिक शुभकामनाये
ब्लॉग पर अनियमितता होने के कारण आप से माफ़ी चाहता हूँ .
hi,
ReplyDeleteaapke blog par pehli baar aaya hoon.... kaafi achcha laga :) thanks
माँ से इस त्यौहार के बारे में सुना है. आपने विस्तार से बताया बहुत अच्छा लगा. प्योली, मिझाऊ के फूलों का फोटो कभी देखिएगा.
ReplyDeleteघुघूती बासूती
दिखाइएगा*
ReplyDeleteघुघूती बासूती
मेरे लिए यह एक नयी जानकारी है, धन्यवाद.
ReplyDeleteमेरे लिए भी नई जानकारी है यह. ऐसे आयोजनों से समय-समय पर खुशी लेना जीवनसंचार करता है.
ReplyDeleteभजन करो भोजन करो गाओ ताल तरंग।
ReplyDeleteमन मेरो लागे रहे सब ब्लोगर के संग॥
होलिका (अपने अंतर के कलुष) के दहन और वसन्तोसव पर्व की शुभकामनाएँ!
आप को होली की हार्दिक शुभकामनाएं । ठाकुरजी श्रीराधामुकुंदबिहारी आप के जीवन में अपनी कृपा का रंग हमेशा बरसाते रहें।
ReplyDeleteयह जानकारी नयी है , आभार !! होली पर शुभकामनायें स्वीकार करें
ReplyDeleteहोली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं। ईश्वर से यही कामना है कि यह पर्व आपके मन के अवगुणों को जला कर भस्म कर जाए और आपके जीवन में खुशियों के रंग बिखराए।
ReplyDeleteआइए इस शुभ अवसर पर वृक्षों को असामयिक मौत से बचाएं तथा अनजाने में होने वाले पाप से लोगों को अवगत कराएं।
बहुत सुन्दर ! उम्दा प्रस्तुती! ! बधाई!
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें!
होली की हार्दिक शुभ-कामनायें!
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी दी है आपने मेरे लिए ये नयी है ...
ReplyDeleteआपको होली कि हार्दिक शुभकामनाये
http://rimjhim2010.blogspot.com/2011/03/blog-post_19.html
बहुत ही सुंदर परम्परा ........ अच्छी जानकारी.होली की हार्दिक शुभकामनायें .
ReplyDeleteलघुकथा --आखिरी मुलाकात
is sundar jaankaari ke saath holi ki badhai aapko .
ReplyDeleteनयी जानकारी के लिये आपका हार्दिक आभार....
ReplyDeleteरंगपर्व होली पर असीम शुभकामनायें !
Bachpan kee yaad dilaa dee aapne . Holi kee haardik shubhkaamnaaye !
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनाएं|
ReplyDeleteमंगलमय होली की शुभकामनाएं.
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनाएँ|
ReplyDeleteआपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteअरे ये तो एकदम नई और सुंदर जानकारी है । होली की शुभ कामनाएँ ।
ReplyDeleteहोली की बहुत बहुत शुभकामना....
ReplyDeleteबढ़िया जानकारी !
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को होली की शुभकामनायें !
जानकारी के लिये आपका हार्दिक आभार
ReplyDeleteरंग के त्यौहार में
ReplyDeleteसभी रंगों की हो भरमार
ढेर सारी खुशियों से भरा हो आपका संसार
यही दुआ है हमारी भगवान से हर बार।
आपको और आपके परिवार को होली की खुब सारी शुभकामनाये इसी दुआ के साथ आपके व आपके परिवार के साथ सभी के लिए सुखदायक, मंगलकारी व आन्नददायक हो। आपकी सारी इच्छाएं पूर्ण हो व सपनों को साकार करें। आप जिस भी क्षेत्र में कदम बढ़ाएं, सफलता आपके कदम चूम......
होली की खुब सारी शुभकामनाये........
सुगना फाऊंडेशन-मेघ्लासिया जोधपुर,"एक्टिवे लाइफ"और"आज का आगरा" बलोग की ओर से होली की खुब सारी हार्दिक शुभकामनाएँ..
आपको और आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteचलिए अपना ज्ञान बढ़ा. नयी जानकारी मिली. शुक्रिया. होली की रंगारंग शुभकामनाये!!
ReplyDeleteसुन्दर परम्परा की अच्छी जानकारी.....
ReplyDeleteहोली की हार्दिक बधाई ...
परम्पराओं के निर्वहन से हमारी संस्कृति पोषित होती है।
ReplyDeleteअच्छा ज्ञानवर्धक आलेख।
होली पर्व की अशेष शुभकामनाएं।
शहरी संस्कृति से दूर फूल धेयी की परंपरा कितनी अनूठी है, कल्पना करने पर भी मन आनंदित हो उठता है। छत्तीसगढ़ में भी ऐसे ही छेरछेरा का त्यौहार मनाया जाता है, बच्चे घर घर में घूम घूम कर आवाज लगाते हैं छेरछेरा-कोठी के धान ल हेरते हेरा। मासूमियत और अल्हड़पन में डूबी परंपराओं को नमन, आपका लेख दिल को छू गया।
ReplyDeleteभारतीय संस्कृति के गुलदस्ते का सुंदर फूल.
ReplyDeleteअच्छा लगा जानकर।
ReplyDeleteनई और सुंदर जानकारी है
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