माँ की आवाज
अंधेरों में सोते से
अचानक जगाती है
वह माँ जो मुझे
लोरियां गाकर सुनती थी,
आज अकेले में गाकर दो पंक्तियाँ
स्वयं को सहज पाती है
इतनी दूर से भी उसका स्पर्श
वो हाथ, वो बात, वो लोरियां
सब कुछ याद आता है
तो मेरा ह्रदय अचानक ही
द्रवित हो जाता है
आंसू छलकते हैं आँखों से
मन उदास और उदास हो जाता है
चाहता हूँ मैं भी कि संग रहूँ सब के
पर सोचते- सोचते ही सबेरा हो जाता है
और पुन: नवीन दिवस के साथ
नवीन कल्पनाएँ संजोने लगता हूँ
रात में फिर माँ की, लोरियों की
यादों में खोने लगता हूँ|
माँ की लोरियों की सुन्दर यादें।
ReplyDeleteसच, माँ याद आ गयी
ReplyDeleteआपकी इस कविता को नमन
शुभकामनाये स्वीकार करे
माँ की लोरिया सदा सर्वदा प्रासंगिक है आपने तो मुझे मेरी माताजी की याद दिलादी है जो अब हमारे पास नहीं है वो अब भगवान्जी के पास है !
ReplyDeleteमाँ की आवाज
ReplyDeleteअंधेरों में सोते से
अचानक जगाती है
वह माँ जो मुझे
लोरियां गाकर सुनती थी.........
मेरा ह्रदय अचानक ही
द्रवित हो जाता है
आंसू छलकते हैं आँखों से
मन उदास और उदास हो जाता है
चाहता हूँ मैं भी कि संग रहूँ सब के
पर सोचते- सोचते ही सबेरा हो जाता है
और पुन: नवीन दिवस के साथ
नवीन कल्पनाएँ संजोने लगता हूँ
रात में फिर माँ की, लोरियों की
यादों में खोने लगता हूँ|
बहुत सुन्दर लिखा है आपने"माँ की लोरियाँ" पढ़कर माँ की याद आ गई है! इस पवित्र रिश्ते के अहसास जो आपकी कलम ने और भी खूबसूरत कर दिया है!
आदरणीय Patali-The-Village जी,
ReplyDeleteतारीफ के लिए शब्द नही है!
बहुत सुन्दर रचना!
ReplyDeleteमाँ तुझे सलाम!
सुंदर ममतामयी भाव लिए रचना
ReplyDelete'वह माँ जो मुझे
ReplyDeleteलोरियां गाकर सुनती थी,
आज अकेले में गाकर दो पंक्तियाँ
स्वयं को सहज पाती है'
माँ के अस्तित्व के बारें में ये पंक्तियाँ खून के आँसू रुलाती हैं.
sunder prastuti
ReplyDeleteMaan ka madhur ehsaas liye ... lajawab rachna ...
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति ! बिलकुल माँ से मिलती-जुलत,
ReplyDeleteमाँ को समर्पित उपरोक्त रचना हेतु आभार ,
माँ की लोरियां ... सुन्दर यादें....
ReplyDeleteएकान्त ही मनुष्य का अपना है। स्व की तलाश भी उसी में सम्भव।
ReplyDeleteमॉ शब्द ही भावनाओं का तूफान ला देता है उसपर मॉ की लोरियॉ...अप्रतिम अनुभूति। सुन्दर अभिव्य़क्ति।
ReplyDeletemaa ki pooja rab ki pooja, maa to rab ka naam hai dooja
ReplyDeleteacchi lagi poem
shukriya
very nice lalsingh Swabhimaan Times
ReplyDeleteलोरियां गाकर सुनती थी,
ReplyDeleteआज अकेले में गाकर दो पंक्तियाँ
स्वयं को सहज पाती है
ये शब्द नहीं ... दिल में बसे आंसू हैं ... बहुत सुन्दर !
:) beautiful..
ReplyDeleteमाँ पर लिखकर माँ की याद दिलादी आपने. सुन्दर रचना . बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्य़क्ति...
ReplyDeleteमाँ के ऊपर लिखी कविता मार्मिक और ममतामयी है.
ReplyDeleteमहिला दिवस की शुभकामनाएं.
बहुत मर्मस्पर्शी सुन्दर प्रस्तुति..माँ की लोरी कौन भूल पाता है..
ReplyDeleteजीवन मे माँ से बडा
ReplyDeleteऔर नही वरदान
माँ चरणों की धूल ले
खुश होंगे भगवान।
लोरियाँ माँ की याद दिला ही देती हैं। जब अपने नाती नातिन को सुनाती हूँ तो माँ और दादी याद आ जाती हैं इस उम्र मे भी। सच माँ जैसा कोई नही।
अच्छी रचना।
ReplyDeleteशुभकामनाएं आपको।
maa to maa hoti hai uski yaaden uaska saath jivan me hamesha hi hame sambal deta hai .maa ki har aawaj uske kahe .bataye har shabd hriday me hamesha hi gunjaymaan hote rahte hain .aapki rachn abehad dll ko bhai .
ReplyDeleteaapko itni sundar bhavabhivyakti ke liye bahut bahut badhai
dhayvaad----
poonam
माँ की याद दिला दी आपने ।
ReplyDeletee maa teri surat se alag bhagwan ki surat kya hogi
ReplyDeletebhawuk karne wali rachana. dhanywad
बहुत ही आसान शब्दों में मन की एक गहरी आस या कहूँ चाह को कह दिया आपने....बड़ी ही प्यारी कविता..
ReplyDeletemaaaa ki lori aakhiri saans tak yaad aati rahegi.
ReplyDeletebhavpoorn rachna..
मर्म स्पर्शी बड़ी ही प्यारी रचना....
ReplyDeleteसच, माँ की याद आ गयी
आपकी इस कविता को नमन
शुभकामनाये स्वीकार करे
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने ! बेहतरीन प्रस्तुती! बधाई!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ...बहुत प्यारी रचना है
ReplyDeleteMaa par bahut sundar rachna
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteसलाम.
mother is the synonym of creation.u have write a great work,congrats
ReplyDeletevery impressive.
ReplyDeleteहोली की अपार शुभ कामनाएं...बहुत ही सुन्दर ब्लॉग है आपका....मनभावन रंगों से सजा...
ReplyDeleteMata ki yad dilanen me saksham ye kavita...poori tarah bhav vibhore kar gayi
ReplyDeleteमां की लोरियां... सृष्टि का सबसे पावन गीत।
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता।
इतनी दूर से भी उसका स्पर्श
ReplyDeleteवो हाथ, वो बात, वो लोरियां
सब कुछ याद आता है
माँ के प्यार भरे स्पर्श को कभी भुलाया नहीं जा सकता....
बहुत सुन्दर ।
ReplyDeleteमां तो बस मां है... मां से बढकर जीवन में क्या है.....
ReplyDeleteमाँ पर लिखी एक अनुपम कविता भाई बधाई |होली की शुभकामनाएं |
ReplyDeleteऔर पुन: नवीन दिवस के साथ
ReplyDeleteनवीन कल्पनाएँ संजोने लगता हूँ
रात में फिर माँ की, लोरियों की
यादों में खोने लगता हूँ|
maa to maa hi hoti hai uski mamta shabdo me bayan nahi ho pati .ati sundar .
wahwa.....achhi kavita...
ReplyDeletesadhuwad..
जो माँ लोरिया गा करके सुलाती थी अपने बच्चे को आज के बच्चे उन्हें भूलते जा रहे हैं आज के बच्चो को माँ को लोरिओं पर नीद नहीं आती है अब उन्हें सकिरा के गानों पे नीद आती है |
ReplyDeleteवैसे मै भी कोई बहुत उम्र वाला इंसान नहीं हूँ लेकिन जिस उम्र का हूँ उस उम्र वाले की नीयत तो जानुगा ही |
आप की कविता पढ़कर होली पर घर जाने की योजना बना डाली
बहूत खूबसूरत
सुंदर..!!
ReplyDeleteimpressive :)
ReplyDeletehamne apki kai rachna padi bhut hi khubsurat... jivan har pahlu se judi hui,bhut apni-apni si lagti hai...
ReplyDeleteमाँ कुम कुम ,माँ केशर कि क्यारी ,माँ हम सबको प्यारी
ReplyDeleteमाँ कि उपमा माँ ही माँ हम सब को प्यारी |.....
very touching expression....
ReplyDeletenice
ReplyDeleteमेरी लड़ाई Corruption के खिलाफ है आपके साथ के बिना अधूरी है आप सभी मेरे ब्लॉग को follow करके और follow कराके मेरी मिम्मत बढ़ाये, और मेरा साथ दे ..
ReplyDeleteमाँ की आवाज
ReplyDeleteअंधेरों में सोते से
अचानक जगाती है
वह माँ जो मुझे
लोरियां गाकर सुनती थी,
पतली द विलेज जी बहुत सुन्दर कविता ,माँ की लोरियां वात्सल्य ममता होती ही ऐसे है जहाँ भी जिस पड़ाव पर रहो याद करो और खो जाओ यही आकांक्षा और आह्वान है माँ को कभी भी मत भूलो -आप मेरे ब्लॉग पर आये/आयीं सुन्दर लगा समर्थन भी दीजिये
बधाई हो
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर५