Sunday, March 6, 2011

माँ की लोरियाँ

माँ की आवाज 
अंधेरों में सोते से 
अचानक जगाती है 
वह माँ जो मुझे 
लोरियां गाकर सुनती थी,
आज अकेले में गाकर दो पंक्तियाँ 
स्वयं को सहज पाती है 
इतनी दूर से भी उसका स्पर्श 
वो हाथ, वो बात, वो लोरियां 
सब कुछ याद आता है 
तो मेरा ह्रदय अचानक ही 
द्रवित हो जाता है 
आंसू छलकते हैं आँखों से
मन उदास और उदास हो जाता है
चाहता हूँ मैं भी कि संग रहूँ सब के 
पर सोचते- सोचते ही  सबेरा हो जाता है 
और पुन: नवीन दिवस के साथ 
नवीन कल्पनाएँ संजोने लगता हूँ
रात में फिर माँ की, लोरियों की             
यादों में खोने लगता हूँ|

54 comments:

  1. माँ की लोरियों की सुन्दर यादें।

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  2. सच, माँ याद आ गयी
    आपकी इस कविता को नमन
    शुभकामनाये स्वीकार करे

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  3. माँ की लोरिया सदा सर्वदा प्रासंगिक है आपने तो मुझे मेरी माताजी की याद दिलादी है जो अब हमारे पास नहीं है वो अब भगवान्जी के पास है !

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  4. माँ की आवाज
    अंधेरों में सोते से
    अचानक जगाती है
    वह माँ जो मुझे
    लोरियां गाकर सुनती थी.........

    मेरा ह्रदय अचानक ही
    द्रवित हो जाता है
    आंसू छलकते हैं आँखों से
    मन उदास और उदास हो जाता है
    चाहता हूँ मैं भी कि संग रहूँ सब के
    पर सोचते- सोचते ही सबेरा हो जाता है
    और पुन: नवीन दिवस के साथ
    नवीन कल्पनाएँ संजोने लगता हूँ
    रात में फिर माँ की, लोरियों की
    यादों में खोने लगता हूँ|

    बहुत सुन्दर लिखा है आपने"माँ की लोरियाँ" पढ़कर माँ की याद आ गई है! इस पवित्र रिश्ते के अहसास जो आपकी कलम ने और भी खूबसूरत कर दिया है!

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  5. आदरणीय Patali-The-Village जी,
    तारीफ के लिए शब्द नही है!

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  6. बहुत सुन्दर रचना!
    माँ तुझे सलाम!

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  7. सुंदर ममतामयी भाव लिए रचना

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  8. 'वह माँ जो मुझे
    लोरियां गाकर सुनती थी,
    आज अकेले में गाकर दो पंक्तियाँ
    स्वयं को सहज पाती है'

    माँ के अस्तित्व के बारें में ये पंक्तियाँ खून के आँसू रुलाती हैं.

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  9. सुंदर प्रस्तुति ! बिलकुल माँ से मिलती-जुलत,
    माँ को समर्पित उपरोक्त रचना हेतु आभार ,

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  10. माँ की लोरियां ... सुन्दर यादें....

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  11. एकान्त ही मनुष्य का अपना है। स्व की तलाश भी उसी में सम्भव।

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  12. मॉ शब्द ही भावनाओं का तूफान ला देता है उसपर मॉ की लोरियॉ...अप्रतिम अनुभूति। सुन्दर अभिव्य़क्ति।

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  13. maa ki pooja rab ki pooja, maa to rab ka naam hai dooja

    acchi lagi poem
    shukriya

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  14. very nice lalsingh Swabhimaan Times

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  15. लोरियां गाकर सुनती थी,
    आज अकेले में गाकर दो पंक्तियाँ
    स्वयं को सहज पाती है

    ये शब्द नहीं ... दिल में बसे आंसू हैं ... बहुत सुन्दर !

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  16. माँ पर लिखकर माँ की याद दिलादी आपने. सुन्दर रचना . बधाई स्वीकारें

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  17. सुन्दर अभिव्य़क्ति...

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  18. माँ के ऊपर लिखी कविता मार्मिक और ममतामयी है.
    महिला दिवस की शुभकामनाएं.

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  19. बहुत मर्मस्पर्शी सुन्दर प्रस्तुति..माँ की लोरी कौन भूल पाता है..

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  20. जीवन मे माँ से बडा
    और नही वरदान
    माँ चरणों की धूल ले
    खुश होंगे भगवान।
    लोरियाँ माँ की याद दिला ही देती हैं। जब अपने नाती नातिन को सुनाती हूँ तो माँ और दादी याद आ जाती हैं इस उम्र मे भी। सच माँ जैसा कोई नही।

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  21. अच्‍छी रचना।
    शुभकामनाएं आपको।

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  22. maa to maa hoti hai uski yaaden uaska saath jivan me hamesha hi hame sambal deta hai .maa ki har aawaj uske kahe .bataye har shabd hriday me hamesha hi gunjaymaan hote rahte hain .aapki rachn abehad dll ko bhai .
    aapko itni sundar bhavabhivyakti ke liye bahut bahut badhai
    dhayvaad----
    poonam

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  23. माँ की याद दिला दी आपने ।

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  24. e maa teri surat se alag bhagwan ki surat kya hogi

    bhawuk karne wali rachana. dhanywad

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  25. बहुत ही आसान शब्दों में मन की एक गहरी आस या कहूँ चाह को कह दिया आपने....बड़ी ही प्यारी कविता..

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  26. maaaa ki lori aakhiri saans tak yaad aati rahegi.
    bhavpoorn rachna..

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  27. मर्म स्पर्शी बड़ी ही प्यारी रचना....
    सच, माँ की याद आ गयी
    आपकी इस कविता को नमन
    शुभकामनाये स्वीकार करे

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  28. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने ! बेहतरीन प्रस्तुती! बधाई!

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  29. बहुत सुन्दर ...बहुत प्यारी रचना है

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  30. बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति.
    सलाम.

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  31. mother is the synonym of creation.u have write a great work,congrats

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  32. होली की अपार शुभ कामनाएं...बहुत ही सुन्दर ब्लॉग है आपका....मनभावन रंगों से सजा...

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  33. Mata ki yad dilanen me saksham ye kavita...poori tarah bhav vibhore kar gayi

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  34. मां की लोरियां... सृष्टि का सबसे पावन गीत।
    बहुत सुंदर कविता।

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  35. इतनी दूर से भी उसका स्पर्श
    वो हाथ, वो बात, वो लोरियां
    सब कुछ याद आता है
    माँ के प्यार भरे स्पर्श को कभी भुलाया नहीं जा सकता....

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  36. मां तो बस मां है... मां से बढकर जीवन में क्या है.....

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  37. माँ पर लिखी एक अनुपम कविता भाई बधाई |होली की शुभकामनाएं |

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  38. और पुन: नवीन दिवस के साथ
    नवीन कल्पनाएँ संजोने लगता हूँ
    रात में फिर माँ की, लोरियों की
    यादों में खोने लगता हूँ|
    maa to maa hi hoti hai uski mamta shabdo me bayan nahi ho pati .ati sundar .

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  39. जो माँ लोरिया गा करके सुलाती थी अपने बच्चे को आज के बच्चे उन्हें भूलते जा रहे हैं आज के बच्चो को माँ को लोरिओं पर नीद नहीं आती है अब उन्हें सकिरा के गानों पे नीद आती है |
    वैसे मै भी कोई बहुत उम्र वाला इंसान नहीं हूँ लेकिन जिस उम्र का हूँ उस उम्र वाले की नीयत तो जानुगा ही |
    आप की कविता पढ़कर होली पर घर जाने की योजना बना डाली
    बहूत खूबसूरत

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  40. hamne apki kai rachna padi bhut hi khubsurat... jivan har pahlu se judi hui,bhut apni-apni si lagti hai...

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  41. माँ कुम कुम ,माँ केशर कि क्यारी ,माँ हम सबको प्यारी
    माँ कि उपमा माँ ही माँ हम सब को प्यारी |.....

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  42. मेरी लड़ाई Corruption के खिलाफ है आपके साथ के बिना अधूरी है आप सभी मेरे ब्लॉग को follow करके और follow कराके मेरी मिम्मत बढ़ाये, और मेरा साथ दे ..

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  43. माँ की आवाज
    अंधेरों में सोते से
    अचानक जगाती है
    वह माँ जो मुझे
    लोरियां गाकर सुनती थी,
    पतली द विलेज जी बहुत सुन्दर कविता ,माँ की लोरियां वात्सल्य ममता होती ही ऐसे है जहाँ भी जिस पड़ाव पर रहो याद करो और खो जाओ यही आकांक्षा और आह्वान है माँ को कभी भी मत भूलो -आप मेरे ब्लॉग पर आये/आयीं सुन्दर लगा समर्थन भी दीजिये
    बधाई हो

    सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर५

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