Sunday, October 17, 2010
|| एकश्लोकी रामायण ||
विजय दशमी की आप सब को बधाई और शुभ कामनाएँ|
प्रस्तुत है एकश्लोकी रामायण |
आदौ राम तपोवनादि गमनम,हत्वा मृग: कांचनम|
वैदेही हरणं, जटायु मरणं,सुग्रीब संभाषणं|
बाली निर्दलं,समुन्द्र तरणं, लंकापुरी दहनं |
पश्चाद्रवन, कुम्भकरण हननं |
एतध्दी रामायणं |
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सर्व प्रथम
ReplyDeleteविजय पर्व की शुभ भावनाएँ स्वीकारें.
मुझे लगता है की आपको पूरा श्लोक याद नहीं है.
आपने लिखा है _
प्रस्तुत है एकश्लोकी रामायण |
आदौ राम तपोवनादि गमनम
हत्वा मृगा: कांचनम
वैदेही हरणं समुन्द्र तरणं
लंकापुरी दाहनं
पश्चात् रावण कुम्भकरण हननं
एतध्दी रामायण ||
जबकि ऐसा होना चाहिए -
आदौ राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृगं कांचनं
वैदेही हरणं, जटायु मरणं, सुग्रीव संभाषणं
बाली निर्दलं, समुन्द्र तरणं, लंकापुरी दाहनं
पश्चाद्रावण-कुम्भकरण हननं, एतद्धि रामायणं ..
इसमें भी व्याकरणीय त्रुटियाँ हो सकती हैं परन्तु चार पदों में यही श्लोक है
- विजय तिवारी ' किसलय '
हिन्दी साहित्य संगम जबलपुर
विजय तिवारी जी,
ReplyDeleteनमस्कार, भूल सुधार के लिए बहुत बहुत धन्यवाद|
EK TH RAM EK RAVANNA
ReplyDeleteVANE VAKI TRIYA HARI
VANE VAKI LANKA JARI
TULSI LIKH GAYE POTHTHNNA.
(yah ek bahaut purani kahavat hai jo bachpan me suni thi.)
बेशकीमती रचना है यह...
ReplyDeleteyeh shlok hi gyan ka roop hain aaj...
इस बार मेरे नए ब्लॉग पर हैं सुनहरी यादें...
एक छोटा सा प्रयास है उम्मीद है आप जरूर बढ़ावा देंगे...
कृपया जरूर आएँ...
सुनहरी यादें ....
EK SHLOKI RAMAYANA KE LIYE DHNYAVAD.AAJ EK AUR BAAT SIKHNE KO MILI.
ReplyDeletenayi jaankari--aabhar.
ReplyDeleteसुन्दर है प्रस्तुति आपकी
ReplyDelete- विजय तिवारी
आप सब को सपरिवार दीपावली मंगलमय एवं शुभ हो!
ReplyDeleteहम आप सब के मानसिक -शारीरिक स्वास्थ्य की खुशहाली की कामना करते हैं.