सदैव नन्दनन्दकेलिशालिकुञ्जमन्जुला तटोंत्थफ़ुल्लमल्लिकाकदम्बरेणुसुज्ज्वाला|
जलावगाहिनां नृणां भवाब्धिसिन्धुपारदा धुनोतु में मनोमलं कलिन्दनन्दिनी सदा ||
जिसके तटवर्ती मन्जुल निकुन्ज सदा ही नन्दनन्दन श्रीकृष्ण की लीलाओं से सुशोभित होते हैं; किनारे पर बढ़ कर खिली हुई मल्लिका और कदम्ब के पुष्प-परागसे जिसका वर्ण उज्जवल हो रहा है, जो अपने जल में डुबकी लगाने वाले मनुष्य को भवसागर से पर कर देती है, वह कलिन्द-कन्या यमुना सदा ही हमारे मानसिक मलको दूर बहावे|
जलावगाहिनां नृणां भवाब्धिसिन्धुपारदा धुनोतु में मनोमलं कलिन्दनन्दिनी सदा ||
जिसके तटवर्ती मन्जुल निकुन्ज सदा ही नन्दनन्दन श्रीकृष्ण की लीलाओं से सुशोभित होते हैं; किनारे पर बढ़ कर खिली हुई मल्लिका और कदम्ब के पुष्प-परागसे जिसका वर्ण उज्जवल हो रहा है, जो अपने जल में डुबकी लगाने वाले मनुष्य को भवसागर से पर कर देती है, वह कलिन्द-कन्या यमुना सदा ही हमारे मानसिक मलको दूर बहावे|
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteज्यों ज्यों डूबे श्याम रंग त्यों त्यों उज्जवल होय
ReplyDeleteजय हो! शुभकामनायें!
ReplyDeleteकाश की ऐसा हो पाता,,,,,,,,सुंदर.
ReplyDeleteकलिन्द-कन्या यमुना हमारे मानसिक मल को दूर बहावे
अत्युत्कृष्ट !
बेहतरीन !
ओजपूर्ण और सार्थक !
मान्यवर,
आपका पूरा ब्लॉग सुंदर प्रविष्टियों से परिपूर्ण है…
आभार !
सादर …
शुभकामनाओं सहित…