Sunday, September 12, 2010

"बेटी तू पहाड़ की"

बेटी तू पहाड़ की पहाड़ लौट आ|
लेके ओढ़नी तू कोई गीत गा|
मारता है आवाज  तुझे  पेड़ बांज का|
झूला डाल दे तू लेके रस्सा पराल का|
लेके हुलारे तू पींघ चढ़ा जा|
दे जा  संदेशा  कोई पहाड़ प्रेम का|
देर से है इंतजार तेरा जंगल के राज का|
लेके गठ्ठा तू घास  का घर को आजा|
याद करते हैं तुझे पहाड़  के नदी और नौला|
आके बसंत मे चैत के काफल खाजा |
अंगरेजी धुन छोड़ के तू  पहाड़ी  घुन मे आ|
पौप गीत छोड़ के तू झोडा चांचरी गा|
बेटी तू पहाड़ की पहाड़ लौट आ|
लेके ओढ़नी तू कोई गीत गा|
                                  के: आर: जोशी. (पाटली)

5 comments:

  1. प्रवासियों को अपने गाँव लौट आने का एक मार्मिक आमंत्रण ......बहुत सुन्दर...

    http://sharmakailashc.blogspot.com/

    ReplyDelete
  2. बड़ा मार्मिक गीत लगा.

    ReplyDelete
  3. आप सब का धन्यवाद|

    ReplyDelete