Saturday, August 22, 2015

'सफल जीवन'



                        एक बेटे ने पिता से पूछा - पापा ये 'सफल जीवन' क्या होता है ? पापा ने कहा आओ बताता हूँ । 
पिता, बेटे को पतंग उड़ाने ले गए। बेटा पिता को ध्यान से पतंग उड़ाते देख रहा था! थोड़ी देर बाद बेटा बोला, पापा जी ये धागे की वजह से पतंग और ऊपर नहीं जा पा रही है, क्या हम इसे तोड़ दें !! ये और ऊपर चली जाएगी ! पिता ने धागा तोड़ दिया! पतंग थोड़ा सा और ऊपर गई और उसके बाद लहरा कर नीचे आइ और दूर अनजान जगह पर जा कर गिर गई, तब पिता ने बेटे को जीवन का दर्शन समझाया ! बेटा:- 'जिंदगी में हम जिस ऊंचाई पर हैं, हमें अक्सर लगता की कुछ चीजें, जिनसे हम बंधे हैं वे हमें और ऊपर जाने से रोक रही हैं जैसे :
                    घर, परिवार, अनुशासन, माता-पिता आदि और हम उनसे आजाद होना चाहते हैं। 
वास्तव में यही वो धागे होते हैं जो हमें उस ऊंचाई पर बना के रखते हैं। इन धागों के बिना हम एक बार तो ऊपर जायेंगे परन्तु बाद में हमारा वो ही हश्र होगा जो बिन धागे की पतंग का हुआ। 
"अतः जीवन में यदि तुम ऊंचाइयों पर बने रहना चाहते हो तो, कभी भी इन धागों से रिश्ता मत तोड़ना|
" धागे और पतंग जैसे जुड़ाव के सफल संतुलन से मिली हुई ऊंचाई को ही 'सफल जीवन' कहते हैं। 

11 comments:

  1. दिनांक 24/08/2015 को आप की इस रचना का लिंक होगा...
    चर्चा मंच[कुलदीप ठाकुर द्वारा प्रस्तुत चर्चा] पर...
    आप भी आयेगा....
    धन्यवाद...

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  2. सुन्दर दृष्टान्त। सुन्दर रचना। वधाई।

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  3. बहुत सुंदर-सटीक-शुभ,दृष्टांत
    हमारे मूल्य हमें पूर्ण बनाते हैं.

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  4. सुन्दर, सटीक भाव ... शायद यही मूल्य हमें ऊंचा रखते हैं जीवन में भी ...

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  5. बहुत सुन्दर प्रेरक प्रस्तुति

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