ब्रिज में होली कैसे खेलूं मैं लाला सांवरियां के संग
अबीर उड़ता गुलाल उड़ता, उड़ते सातों रंग
भर पिचकारी ऐसी मारी, अंगियां हो गयी तंग
ब्रिज में होली कैसे खेलूं मैं लाला सांवरियां के संग
तबला बाजे, सारंगी बाजे, और बाजे मिरदंग
कान्हा जी की बंसी बाजे, राधा जी के संग
ब्रिज में होली कैसे खेलूं मैं लाला सांवरियां के संग
कोरे कोरे माट मंगाये, तापर घोला रंग
भर पिचकारी सनमुख मारी, सखिंया हो गयी तंग
ब्रिज में होली कैसे खेलूं मैं लाला सांवरियां के संग
लंहगा तेरा घूम घुमेला, चोली तेरी तंग
खसम तुम्हारा बड़ा निखट्ठू , चलो हमारे संग
ब्रिज में होली कैसे खेलूं मैं लाला सांवरियां के संग
अबीर उड़ता गुलाल उड़ता, उड़ते सातों रंग
भर पिचकारी ऐसी मारी, अंगियां हो गयी तंग
ब्रिज में होली कैसे खेलूं मैं लाला सांवरियां के संग
तबला बाजे, सारंगी बाजे, और बाजे मिरदंग
कान्हा जी की बंसी बाजे, राधा जी के संग
ब्रिज में होली कैसे खेलूं मैं लाला सांवरियां के संग
कोरे कोरे माट मंगाये, तापर घोला रंग
भर पिचकारी सनमुख मारी, सखिंया हो गयी तंग
ब्रिज में होली कैसे खेलूं मैं लाला सांवरियां के संग
लंहगा तेरा घूम घुमेला, चोली तेरी तंग
खसम तुम्हारा बड़ा निखट्ठू , चलो हमारे संग
ब्रिज में होली कैसे खेलूं मैं लाला सांवरियां के संग
होली का मौसम आहट ले रहा है।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (17-02-2014) को "पथिक गलत न था " (चर्चा मंच 1526) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
होली की सुग्बिगाहत शुरू हो गई लगता है ...
ReplyDeleteब्रिज में होली कैसे खेलूं मैं लाला सांवरियां के संग
ReplyDelete........बहुत ही सुन्दर.....