Sunday, May 9, 2010

"हिमालय की गोद में"

हिमालय  कि  गोद  में  एक  छोटा  सा  गांव  है  जिस  में  रहने  वाले  लोगों  के  दिल  बहुत  बड़े  बड़े   हैं|. इस  गांव  का  नाम  पाटली  है  जोकि  जिला  बागेश्वेर के  कौसानी  बैजनाथ [गरूर] के  पैदल  मार्ग  मे  बसा  हुवा  है  इस  गांव  ने  भारतीय  फौज  को  बहुत  सारे  जवान  दीए  हैं |. गांव  में  प्रायमरी  स्कूल  तक  ही  पढाई  होती  है ,अब  लड़कियों  के  लिए  मिडल  स्कूल  भी  खुल  चुका  है  फिर  भी  लड़कों  को  काफी  दूर  दूर  तक  जाकर  अपनी  पढाई  पूरी  करनी  पड़ती है |. अपनी  मेहनत  और  लगन  से  पढाई  पूरी  करने  के  बाद  इस  गांव  के  लोग  कई  सरकारी  और  गैर  सरकारी  क्षेत्रों  में  अपना  अहम्  योगदान  दे  रहे  हैं |. यहाँ  के  लोग  पढ़े  लिखे  होने  के  बाबजूद  काफी  भोले  भाले और  इमानदार  हैं |.गांव  के  सभी  लोग  मिलजुल  कर  रहते  हैं |  अपने  सभी  कामों  को  मिलजुल  कर  निजी  काम  समझकर  निभाते  हैं |. सभी गांव  वासी  मिलकर  त्यावाहार,उत्सव  आदि  मानते  हैं |. होली  के  मौके  पर  तो  सारे  गांव  के  आदमी  मिलकर  घर  घर  जाकर  होली  गाते  हैं  और  फूलने  फलने  का  आशीर्वाद  देते  हैं |. हमारे  गांव  कि  भाषा थेट  पहाड़ी  [कुमांउनी ] है   पर  होली  खड़ीबोली  मैं  ही  गाई जाती  है |. पुराने  लोगों  मे  एक  गिरीश  चाचा  हैं  जो  होली  गाने मे  मुहारत रखते  हैं | उन  के  बगैर  होली  अधूरी   ही  मानी   जाती  है |. गांव  के  पुराने  लोग  गरीबी  मे  ही  गुजारा  करते  रहे  हैं  लेकिन  आज    दुनियां   के  साथ  साथ  इस  गांव  के  लोगों  ने  भी  तरक्की  के  लिए  कदम  आगे  बढ़ाए  हैं  और  आगे  तरक्की  की और  अग्रसर  हैं |. गांव  के  नजदीक  गाड़ी  की  सड़क  भी  आ  चुकी  है .पहले  लोगों  को  मीलों  दुरी  से  अपने  रोज  मर्रा  की  चीजों  को  सर  मे  लाद कर  पैदल  ही  लाना  पड़ता  था|. गांव  के  पास  कोई  फालतू  जमीन  ना  होने  की  वजह  से  यहाँ  अभी  तक  कोई  इंटर  कॉलेज, हॉस्पिटल  आदि  का  पर्बंध  नहीं  हो  सका  है|. इस  गांव  की  आबादी  450 के  करीब  और  घरों  की  गिनती  100 के  करीब  है |.
इस  गांव  मे  भुरून  हत्या  जैसा  पाप  कोई  नहीं  करता  इस  बात  का  अन्तजा  इस  बात  से  लगाया  जा  सकता  है  की  इस  गांव  की  महिलाओं  का  औसत 1200 महिला  प्रति  1000 पुरुस  है . 88% लोग  सक्सर  हैं  और  धार्मिक  प्रबिरिती के  हैं  इस  गांव  मे  जोभी  फसल  तैयार  होती  है  उस  का  पहला  अंश  भूमियाँ  देवता  को  चडाया जाता है क्युकी  लोगों  मे  ये  विस्वास ब्याप्त  है  की  भूमियाँ  देवता  ही  हमरि  खेती  की  रक्षा  करते  हैं |. गांव  वालों  के  अपने  घरों  मे भी  अपने  अपने  इष्ट  देवता  की  सथपना की  होती  है  और  उस  पर  पूरा  भरोसा  जताया  जाता  है, ऐसा मना  जाता  है  की  इष्ट  देवता  की  ही  मेहरबानी  से  गांव  तरक्की  की  और  आगे  बढ़  रहा  है , गांव  के  इष्ट  गोलू, नरसिंह , देवी आदि  को  माना जाता  है  और  पूजा  की  जाती  है|. लोग  अपने  इष्ट  देवता  को  खुश  करने  के  लिए  जगर  भी लगाते  हैं  और  मनौती  मांगते  हैं |.
इन्हीं  शब्दों  के  साथ  आज  के  लिए  कलम  को  बिराम  देता  हूँ  "बोलो  इष्ट  देवता  की  जय" K. R. Joshi

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